What is silent - and what does this have to do with us?Silent is just space. Or say that space itself is silent. When a person reaches his personal space, one experiences the space as silent.
Today my life is passing through this dimension, in which only the stream of knowledge flows. This flow has come from listening to the pulse of all life in me walking on this earth, in the calm and deep silence of the stones, trees, space, river, flowers, wild animals, birds. This quiet silence is the real dimension of life, which creates the universe.
What is meditation, and is it necessary for all?
Meditation is an act of silence. When we speak, we separate from silence, then our attention turns towards speaking. We got attached to another function and got away from our roots.
We are all natural creatures. So the nature of nature is present in all of us. Meditation is our nature, we are not only aware of this meditation of ours. When we wake up to meditation we become meditators and our life becomes calm and happy.
What is self realization?
When a person becomes fully acquainted with own-self. As if comprehending his complete personal biography. One becomes fully acquainted with his thoughts, feelings, joys, sorrows, experiences, every character of own-self. Such persons enjoy the complete journey, not only the destination or happiness, they also enjoy sorrow.
What is called God-realisation?
When a person passes through the experience of his own completeness. Meaning that the person who has seen that death and that part of life in which only the real and true form of life is there. Meaning that the real form of the person's 'I' or say that form of the soul which remains alive before birth and even after death. In this experience the texture of every part of the universe reveals the fulfillment of the individual.
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चुप क्या है- और इस का हमारे से क्या नाता है ?
चुप सिर्फ स्पेस है। या कहो कि स्पेस ही चुप है। जब कोई भी व्यक्ति खुद की व्यक्तिगत स्पेस में पहुंचता है, तो वो स्पेस को चुप के रूप में अनुभव करता है।
आज मेरी ज़िंदगी इसी आयाम में से गुज़र रही है, जिस में सिर्फ ज्ञान की धारा का ही बहा बहता है। यह बहा मेरे में इस ज़मीन पर चलने में, यह बहा शांत और गहरी चुप में पत्थरों, पेड़ों, अंतरिक्ष, नदी, फूलों, जंगली जानवरों, पक्षियों के सभी जीवन की नब्ज को सुनने से आया है।यह शांत चुप ही जीवन का असली आयाम है, जो ब्रह्मण्ड को पैदा करती है।
ध्यान क्या है, और क्या यह सब केलिए ज़रूरी है ?
ध्यान चुप की क्रिया है। जब हम बोलते हैं तो हम चुप से अलग हो जाते हैं, तब हमारा ध्यान बोलने की तरफ हो जाता है। हम एक दूसरी किर्या से जुड़ गए और खुद की जड़ से दूर हो गए।
हम सब कुदरती जीव हैं। सो कुदरत का स्वभाव हम सब में मजूद है।ध्याना हमारा स्वाभाव ही है, हम सिर्फ अपने इस ध्यान के प्रति जागरूक नहीं हैं। जब हम ध्यान के प्रति जाग जाते हैं तो हम ध्यानी बन जाते हैं और हमारी जीवन शांत और खुश हो जाता है।
आत्म-बोध क्या है ?
जब कोई भी व्यक्ति खुद से पूर्ण परिचित हो जाता है। जैसे कि अपनी पूर्ण व्यक्तिगत जीवनी को समझ लेता है। अपनी सोच, भावना, सुख, दुःख , अनुभव, खुद के हर किरदार से पूर्ण परिचित हो जाता है। ऐसे व्यक्ति पूर्ण यात्रा का आनंद लेते हैं, सिर्फ मंज़िल का या ख़ुशी का ही नहीं, दुःख का भी आनंद लेते हैं।
ईश्वर-प्राप्ति किस को कहतें हैं?
जब कोई भी व्यक्ति खुद की सम्पूर्णता के अनुभव से गुज़र जाता है। मतलब कि वो व्यक्ति जिस ने यह देख लिया कि मौत और जीवन का वो हिस्सा जिस में सिर्फ असली और सत्य जीवन का रूप है। मतलब कि व्यक्ति की 'मैं' का असली रूप या कहो कि आत्मा का वो रूप जो जीवन जो जन्म से पहले और मौत के बाद भी बरकरार रहता है। इस अनुभव में ब्रह्माण्ड के हर हिस्से की बनावट व्यक्ति की सम्पूर्ति को प्रगट करती है
मेरी जीवनी
जीवन सिर्फ एक ही सवाल है , वो सवाल है, 'मैं कौन हूँ?' यह ब्रह्माण्ड इस एक सवाल का ही जवाब है।
तो मैंने इस सवाल से प्रेरित हो के अपनी इस जीवन-यात्रा में सिर्फ तीन सवाल किये हैं, जो मेरी जीवनी है। दूसरा और तीसरा सवाल इस पहले सवाल के गर्भ से पैदा हुआ था, जो इस पहले सवाल को ही प्रगट करता है। क्योंकि हमारी यह 'मैं' का विस्तर इतना विराट है और अनन्त है, जो यह एक छोटा सा लफ्ज़ 'मैं' है, यही इस तमाम युगों का जन्मदाता है।
मेरे तीन कदम। मेरा पहला कदम :मैं कौन हूँ और क्यों हूँ? इस सवाल ने मेरे को सुखी कर दिया
मेरा दूसरा सवाल :यह ऋषि-मुनि और पीर-पैगम्बर क्या है? इस दूसरे सवाल ने मेरे जीवन को सुखी कर दिया
मेरा तीसरा सवाल:खुदा ने यह रचना क्यों रची और यह रचना खुदा कि किस अनुभव की पैदायश है?आज की ज़िंदगी मेरे इस सवाल का जवाब देती जा रही है, अभी जवाब पूरा नहीं हुआ। मैं यह जानती हूँ कि इस सवाल का जवाब ब्रह्माण्ड के तमाम युग का खुलासा करेगा और मेरे तमाम युग को सुखी करेगा।
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Our existence is a unique and wonderful cosmic art, an art full of emptiness, which we can see in every form.
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हमारा वजूद एक ऐसी निराली और अद्भुत कॉस्मिक कला है, जो खालीपन से भरपूर एक ऐसी कला है, जिस को हम हर रूप में देख सकते हैं।
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