The Thrill of Life is Learning
When we wake up, how does life wake us up from moment to moment,such an experience that this awakening never ends
Many years ago I gave myself a way to sit on one side and watch not only the flow of Life, but also the flow of Water and Time. This flowing flow of all THREE did not teach me to flow - taught me to stop - Why? Do you understand Why?
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मैंने बहुत साल पहलों खुद को एक रास्ता दिया कि एक किनारे बैठ कर जीवन के बहा को ही नहीं देखना, पानी और वक़्त के बहा को भी देखना है। यह तीनों के बहते बहा ने मेरे को बहना नहीं सिखाया- रुकना सीखा दिया- क्यों? क्या आप समझते हो, क्यों?
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It was a matter of many years ago When I told myself that one has to walk on the path of life as if there is no way. That place: Which is unpaved - on which no one has walked, it has to be walked on it in such a way that the path is not the way but the destination is also there. I kept on walking; One day it reached such a point that there was neither a path nor a destination, - Do you understand?
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बहुत साल पहल की बात है जब मैंने खुद को कहा कि जीवन की राह पर ऐसे ही चलना है कि जैसे कोई राह है ही नहीं। वो जगह: जो कच्ची है- जिस पर कोई चला नहीं, उस पर ऐसे ही चलना है कि वो राह राह नहीं मंज़िल भी है।मैं चलती ही गई; एक दिन ऐसे बिंदु पर पहुंच गई कि न ही वहां पर राह थी और न ही मंज़िल, - क्या आप समझ गए ?
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'Can you live such a life that you have nothing?'
I told the moment that -
'I will never live like this, because if I have no one, but 'I' will be with me.'
Moment said -
'Then live such that from today there is no Religious book, nor has there been any Sage till today'
It was difficult for ME, but I wanted to know life, it did and it happened. What?
Life is happy that I am happy - I don't know, something happened - but What? Do you understand?
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एक दिन एक पल ने मुझ को आ कर कहा कि -
'क्या तू ऐसे जीवन को जी सकती हैं कि तेरे पास कुछ भी न हो?'
मैंने पल को कहा कि -
'ऐसे कभी मेरे से जीया नहीं जाएगा, क्योंकि अगर मेरे पास कोई नहीं होगा, पर 'मैं' मेरे पास होगी।'
पल ने कहा कि -
'फिर ऐसे जी कि आज से कोई भी धार्मिक किताब नहीं और ना ही आज तक कोई ऋषि हुआ है'
मेरे लिए कठिन था, पर मैंने जीवन को जानना था, सो किया और हुआ भी। क्या?
ज़िंदगी खुश हुई कि मैं खुश हुई - पता नहीं, कुछ हुआ- पर क्या? क्या आप समझते हो?
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जब हम जाग जातें हैं तो जीवन कैसे पल पल हम को ओर गहरा जगाता जाता है,ऐसा अनुभव कि यह जागना कभी खत्म नहीं होता।