When my incompleteness got complete
When I recognized the beauty of the completeness of the incompleteness, then all my incompleteness also became completely complete.
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मेरी यात्रा का हर कदम सम्पूर्ण जिया-यह सम्पूर्णता ही सुंदरता का रहस्या समझा गई।
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मैंने नकारत्मिक हिस्से की भी सम्पूर्णता देखी और समझी, नकारत्मिक की सुंदरता में सकारत्मिक्ता की गहरी परत देखी जैसे किसी कोयले की खान हीरा पड़ा हुआ है। तब से मेरे कदम रेतली राह पर चलने लगे।
मैंने आज तक अधूरापन कभी देखा ही नहीं , क्योंकि मैंने अधूरेपन को भी अधूरेपन की सम्पूर्णता में देखा है।
There is nothing incomplete in life, when we look through the window, the sky is always a little visible.
जीवन में अधूरा कुछ भी नहीं, जब हम खिड़की से देखतें हैं तो आसमान सदा ही थोड़ा सा दिखाई देता है।
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ज़िंदगी का हर हिस्सा, हर चीज़ , हर राह , हर दिशा, हर सोच और हर कदम को जब भी मैंने गौर से देखा और यही नज़र आया कि हर चीज़ खुद में कितनी सम्पूर्ण है। अधूरेपन का अधूरापन भी कितना सम्पूर्ण है -वाओ
अधूरेपन की सम्पूर्णता की सुंदरता को जब मैंने पहचाना तो मेरा तमाम अधूरापन भी सम्पूर्ण रूप में सम्पूर्ण हो गया।