Artistic Expression
Deep experiences are artists in themselves.I learned how deep feeling draws itself from deep inside
- The more I studied religions, the more I learned from them that no one ever worshiped anything other than one-self.
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- Today religious places need a better conception, and a deeper concept is needed to describe God.
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- Nothing to do but let what happens happen
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- We are a mystery in which everything is present, yet we are free from time and space.
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The nature of movement is action:
If I say that -
"I act"
It is not my awareness that whatever action I do.
Eyes see, nose smells, thoughts run through the mind,
Is this all awareness?
No, all this is happening in consciousness.
All this action is the nature of life. This is the nature of movement.
All these actions are in our existence.
It is our conscious consciousness operating in time and space, which stands before us in the state of our awareness.
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Face the Soul
One day I saw that 'Jinder' whom I always wanted to see. Which was in my thoughts, which was in my feelings. A 'Jinder' whose true form is in front of me.
When I saw it, I still cannot describe that 'Jinder'.
Today, when I have seen it in its real form, its importance has ended. Because I saw that -
After a very long time, I realized that to see the soul, I have probably traveled a long way of ages - the journey which I have done through the path of silence, passing through the surrender-consciousness, that life - The struggle has no value.
The soul with whom I wanted to be with me, that SOUL also seems to me 'tasteless', it also looks like that fruit, which is completely firm, is sweet, has taste, but today I am not hungry at all. So I learned that the only value of our struggle is that the price becomes priceless.
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Dream and the world:
The world of dreams is like our life-drama, which we call the world. And in the same way, we consider this life-drama as our personal life. When we become one with the experience of the first of these two beings, this experience of 'oneness' tells us a true 'What is it to know?', that is all.
Spiritual - Dream is the only understanding in life, which wants us to understand that the world is also a dream, when we wake up at the level of consciousness, then all the worldly illusions disappear. Our feeling is the same as our feeling at the time of waking up from the dream.
And
This 'knowing' is only a description of our mind, which has created this world of dreams.
Similarly, the world is a description of our thinking, from which our personal life is formed.
Personal pattern or attitude is only that which is known. Means that what we have KNOWN that is the real our thinking, which we must have KNOWN through Words, that same thinking when it becomes an experience and goes ahead. By becoming our understanding, life develops.
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गहरे अनुभव खुद में ही कलाकार होते हैं। मैंने जाना कि गहरी अनुभूति कैसे खुद को गहरे में से करती है
कलात्मक अभिव्यक्ति
- जितना मैंने धर्मों का अध्ययन किया, उन से मैंने यही जाना कि किसी ने कभी भी स्वयं के अलावा किसी चीज की पूजा नहीं की।
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- आज धार्मिक जगहों को बेहतर धारणा की ज़रुरत है, और खुदा को वर्णन करने के लिए लिए गहरे संकल्पना की ज़रुरत है
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- करने के लिए कुछ नहीं है लेकिन जो होता है उसे होने दें
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- हम एक ऐसा रहस्य हैं जिस में सब कुछ मजूद है, फिर भी हम वक़्त और स्पेस से मुक्त हैं।
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आंदोलन का स्वभाव क्रिया है :
अगर मैं यह कहती हूँ कि -
"मैं क्रिया करती हूँ,"
यह मेरी जागरूकता नहीं है कि मैं जो ये कोई क्रिया करती हूँ।
आंखें देखती हैं, नाक से गंध आती है, विचार मन में चलते हैं,
क्या यह सब जागरूकता है?
नहीं, यह चेतना में सब हो रहा है।
जो यह सब क्रिया है, यह ज़िन्देपन का स्वभाव है।यह आंदोलन की प्रकृति है।
यह सब क्रियाएं हमारे वजूद में हैं।
वक़्त और स्पेस में हमारी जागरूक चेतना किर्याशील ही है , जो हमारी जागरूकता स्थिति में हमारे आगे खड़ी होती है।
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आत्मा के रूबरू
मैंने एक दिन उस 'जिन्दर' को देखा, जिस को मैंने सदा ही देखना चाहा। जो मेरी ही सोच में थी, जो मेरी ही भावना में थी। एक ऐसी 'जिन्दर' जिस का असली रूप मेरे आगे हो।
जब मैंने देखा, तो मैं आज भी उस 'जिन्दर' का वर्णन नहीं कर सकती।
आज जब मैंने उस को असली रूप में देख लिया है तो उस की महत्तता ही ख़त्म हो गई। क्योंकि मैंने देखा कि -
बहुत ही लम्बे अरसे के बाद मैंने यह ही अनुभव किया कि जिस आत्मा को देखने केलिए, श्याद मैंने युगों का बहुत लम्बी यात्रा की है- वो यात्रा, जो मैंने समर्पित-भाव में से गुज़र कर चुप की राह में से की है , वो जीवन-संघर्ष का कोई भी मोल नहीं।
जिस आत्मा के मैं सहमने होना चाहती थी, वो आत्मा भी आज मेरे को 'बे-रस' लगती है, वो भी उस फल जैसी लगती है, जो पूर्ण रूप में पक्का है, मीठा है, स्वाद है, पर आज मेरे को भूख ही नहीं है। तो मैंने यही जाना कि हमारे संघर्ष का मोल सिर्फ यही होता है कि मोल बे-मोल हो जाता है।
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सपना और संसार:
सपनों की दुनिया हमारे इस जीवन-नाटक के समान है , जिस को हम संसार कहतें हैं।और ऐसी ही हम आपने इस जीवन-नाटक को अपना निज़ी जीवन मानते हैं। जब हम इन दोनों में से पहले किसी के भी वास्तविक रूप के अनुभव से एक हो जातें हैं, यह 'एकता' का अनुभव हमारे को एक सच्चा 'जानना क्या होता है?', वो सब बता देता है।
आध्यात्मिक- जीवन में सपना एक मात्र सिर्फ एक समझ है, जो हमारे को समझना चाहती है कि संसार भी सपना है, जब हम चेतना के लेवल पर जागते हैं, तो संसारी भ्र्म सब मिट जाता है। यह हमारी महसूसियत वो ही होती है, जो हमारी महसूसियत सपने में से जागने के वक़्त होती है।
और
यह 'जानना' केवल हमारे मन का वर्णन है, जिसने सपनों की यह दुनिया बनाई है।
ऐसे ही संसार हमारी सोच का वर्णन है, जिस से हमारा व्यक्तिगत जीवन बनता है।
व्यक्तिगत पैटर्न या दृष्टिकोण सिर्फ वह है जिसे 'जाना' जाता है।मतलब कि जो हम ने 'जाना' है, वो ही वास्तविक हमारी सोच होती है, जिस को हम ने लफ़्ज़ों में से ज़रूर जाना होता है, वोही सोच जब अनुभव बन कर आगे होती है तो हमारी समझ बन कर जीवन को विकासशील बनाती है।