Traces of Tender Experiences
नाज़ुक अनुभवों के निशान
Loving myself became the first step in loving the universe
मेरा खुद को प्यार करना ही ब्रह्माण्ड को प्यार करने का पहला कदम बन गया
Whatever I learned, I learned from giving love. Then I came to know that whenever we learn something, how our learning removes our limited sense from us and our limited bondage and makes us always citizens of the open sky. There is such a unique art in every learning, which always connects us with the limitless.
मैंने जो भी सीखा प्यार देने से ही सीखा। तब मैंने जाना कि जब भी हम कुछ सीखते हैं तो हमारी यह सीख कैसे हमारे में से हमारे सीमित भाव को और हमारी सीमित बंधन से निकाल देती है और हम को सदा ही खुले आसमान का नागरिक बनाती है। हर सीख में एक ऐसी ही अनोखी कलाकारी होती है, जो हम को सदा असीमितता के साथ ही जोड़ती है।
Whenever I look at life with an untouchable feeling, I get absorbed in the feeling of this untouchable feeling and become moisture in myself. Ever since my journey to this emotional state has started, from that moment my life has become an invaluable pilgrimage for me.
जब भी मैं जीवन को अछूती भावना से देखती हूँ तो मैं खुद में ही इस अछूती भावना के भाव में लथपथ हो कर खुद में ही नमी बन जाती हूँ। जब से मेरी यह भावपूर्ण स्थिति की यात्रा शुरू हुई है, उस पल से ही मेरा जीना मेरे लिए अमूल्य तीर्थ बन गया।
Today, as much as I am deep in the experience of my merits and demerits, on the contrary, the flow of life has started flowing smoothly and easily in me. And the more I feel this flowing life of myself - then the more an unknown openness blossoms within me, which makes me aware of the universe.
आज जितनी ही मैं अपने गुण और अवगुणों के अनुभव में गहरी हूँ, उल्टा ही जीवन-बहा मेरे में सहज और सरल बहने लगा है। और जितना ही मैं खुद के इस बहते जीवन बहा को अनुभव करती हूँ- फिर उतना ही मेरे भीतर से कोई अंजना खुलापन खिलता है, जो मुझ को ब्रह्माण्ड के प्रति जागरूक करता है।
The day I stopped wanting to be something, the day I stumbled trying to get something and the day I refused to know anything, that day my journey began.
जिस दिन मैंने कुछ होने की चाहना को रोक दिया, जिस दिन मैंने कुछ पाने की कोशिश को ठोकर मार दी और जिस दिन मैंने कुछ जान्ने को ही इंकार कर दिया, उस दिन ही मेरी वो सब यात्रा शुरू हो गई।