Story: Of those lingering moments
The story of the moment
When I felt the stopping breath out of the stagnant thoughts,
I saw the moments getting absorbed in the moment.
Which is the best subject of life, by talking on which both the world and life should become calm.
Today the same question is swirling in me, and sleep has disappeared from my eyes.
I have always stood as a question in life, today I want to become the answer for life, whether I will be able to become the answer or not, this life itself knows.
Today when this question came to life, I started writing.
- Have you ever seen 'raining' without clouds?
- Have you ever seen 'answers' coming without question?
- Have you ever heard 'sobbing' without crying?
- Have you seen any thought becoming vomit ?
- Have you ever heard sighs of happiness?
When these questions of today happened to me, I only knew that I had descended into the deep valley of life. Here every page of the story of life passes through negative and positive.
Sometimes I would see a question being born from the womb of a moment, which would throw me in such a corner of life, as if no one has gone here till date. So again a question would have arisen in me that whether it is not the case that the path of all of us living beings is such a path, on which we have always known alone, this is the beauty of life.
When this question came, this word 'lonely' started becoming anguish in me, so I looked again from within this yearning.
Here every religion stood as a science, which had a theory of life. Many questions have arisen from the understanding of theory that when I got my identity identified with me, I became an answer and brought myself into the world, from which my journey begins today and I get out of bed and sit at the desk, began to show loyalty to the present moment
-- Written something like this: The moment blooms for those who read
-- Make the choice of words something like this: the steps of the walkers stop;
-- Say something like this: even those who do not hear can hear.
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रुकते पलों की अफ़साना
इसे पल की कहानी
ठहरते विचारों में से जब रूकती साँसों को महसूस किया
तो उसी पल में पलों को पलों में ही लीन होते देखा
जीवन का सब से अच्छा विषय कौन सा है,जिस पर बात करके संसार और जीवन दोनों ही शांत हो जाएँ
आज मेरे में यही सवाल घूम रहा है, और नींद मेरी आंखों में से गायब हो गई।
मैं सदा ही जीवन में सवाल बन कर खड़ी रही, आज जीवन के लिए जवाब बन जाने को दिल करता है, जवाब बन पाऊँगी कि नहीं, यह जीवन खुद में ही जानता है।
आज जब यह सवाल जीवन ले के आया तो मैं लिखने लगी।
- क्या आप ने कभी बिन बादलों के 'बरसात' होते देखी है ?
- क्या आप ने कभी बिन सवाल के ही 'जवाब' आते देखें हैं?
- क्या आप ने कभी बिन रोने के ही 'सिसकी' आती सुनी है?
- क्या आप ने किसी सोच को 'वमन ' बनते देखा है ?
- क्या आप के कभी सुख की आहें सुनी है ?
आज के यह सवाल जब मेरे साथ घटे थे तो मैंने यही जाना था कि मैंने जीवन की कितनी गहरी घाटी में उतर गई थी। यहाँ पर जीवन की कहानी का हर पन्ना नेगेटिव और पॉजिटिव के माध्यम में से गुज़रता है।
कभी एक पल के गर्भ में से एक सवाल को जन्मते देखती, जो मेरे को जीवन के एक ऐसी नुकर में जा फेंकता , यहाँ पर जैसे आज तक कोई गया ही न हो। तो मेरे में फिर सवाल पर सवाल जन्म ले लेता कि कहीं ऐसा तो नहीं कि हम सब जीव का रास्ता ही एक ऐसा रास्ता है, जिस पर हम ने सदा अकेले ही जाना है, यही जीवन की सुंदरता है।
जब यह सवाल आया तो यह 'अकेला' लफ्ज़ मेरे में तड़प बनने लगा तो मैंने इस तड़प के भीतर में से फिर झांका।
यहाँ पर हर धर्म एक विज्ञान बन कर खड़ा था, जिस के पास जीवन की एक थिओरी थी। थ्योरी की समझ में से अनेक सवालों ने पैदा हो के मेरी पहचान मेरे से जब करवाई तो मैं एक जवाब बन कर खुद को संसार में ले आई , जिस से मेरी आज की यात्रा शुरू होती है और मैं बिस्तरे से उठ कर डेस्क पर बैठ के, माजूदा पल के साथ वफ़ा निभाने लगी
-- लिखा कुछ ऐसा: पल खिल जाए पढ़ने वालों के;
-- शब्दों का चनाव करा कुछ ऐसा : चलने वालों के कदम रुक जाएँ;
-- बोलें कुछ ऐसा: न सुनने वाले भी सुन पाएं
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Christ's first smile
It was Christmas day and I was looking at Christmas decorations standing in a very beautiful mall in New York, seeing which my existence was meditated. The feeling of this decoration deep within me gave me a state of very deep silence, and I saw for the first time that 'Jusus' was standing in front of me. I swung my head 8-9 vigorously, but the picture of 'Jusus' that was in front of my eyes remained the same. The energy of my existence had accelerated tremendously, and my heart began to quiver and vomit, feeling cold as if the temperature had risen extremely high.
I went outside the mall and sat down at one place. I closed my eyes, after a while my existence came to the right place, and after that there was a flavor in the health of my existence, which was very strange and intoxicating, which was giving me a very deep understanding that-
Even if I say that it was my imagination, I thank God that God has given me such a fantasy.
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ईशा-मसीह की पहली मुस्कान
क्रिसमस के दिन थे और मैं न्यूयोर्क के एक बहुत ही सूंदर मॉल में खड़ी क्रिसमस की सजावट देख रही थी, जिस को देख कर मेरा वजूद मेडिटेट हो गया था। मेरे भीतर की गहराई में इस सजावट का एहसास मेरे को बहुत ही गहरी चुप की अवस्था दे गया, और मैंने पहली वार ऐसा देखा था कि जैसे मेरे ही आगे 'Jusus' खड़े ने। मैंने अपने सर को ८-९ वार तेज़ी से झड़का , पर 'Jusus' की जो तस्वीर मेरी आँखों के आगे थी, वो वैसी की वैसी ही रही। मेरे वजूद की ऊर्जा की गति बहुत ही भारी मात्रा में बढ़ चुक्की थी, और मेरे दिल मचलने लगा और वोमिट होने लगी , ठंडी ऐसे लगने लगी कि जैसे बहुत ही ज़्यादा तापमान बढ़ गया।
मैं माल के बाहर जा कर एक जगह पर बैठ गई। आँखों को बंद किया , थोड़ी देर के बाद मेरा वजूद सही जगह पर आया, और उस के बाद मेरे वजूद की तंदरुस्ती में एक खाश्बो थी, जो बहुत ही निराली और मदहोशी भरी थी, जो मेरे को बहुत गहरी सोझी दे रही थी कि-
'वजूद का चैनल जब सही जगह पर होता है तो बर्ह्माण्ड ही वजूद के भीतर होता है'
अगर मैं यह कह दूँ कि यह मेरी कल्पना थी, तो भी मैं खुदा को धन्यबाद देती हूँ कि खुदा ने मेरे को ऐसी कल्पना से नवाज़ा
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When energy is active, then
Today's Experience:
A person becoming enlightened means that the expressive side of the energy has become active and being filled with love means that the receptive side of the energy has become active. The expressive side becoming active means that the male quality of energy has been awakened and the receptive one becomes active, that means the female quality has become active.
When the union of knowledge and love becomes a blessing that is integrated into the individual consciousness, then the individual is the master of ideas and unfolds under the original creative law.
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जब ऊर्जा क्रियाशील होती है, तब
आज का अनुभव :
व्यक्ति का ज्ञानवान हो जाने का मतलब है कि ऊर्जा का अभिव्यंजक पक्ष एक्टिव हो गया है है और प्रेम से भर जाने का मतलब है कि ऊर्जा का ग्रहणशील पक्ष एक्टिव हो गया है। अभिव्यंजक पक्ष का एक्टिव हो जाना कि ऊर्जा का पुरष गुण जाग गया है और ग्रहणशील का एक्टिव हो जाना, मतलब स्त्री गुण एक्टिव हो गया है।
जब ज्ञान और प्रेम के मिलन आशीर्वाद बन जाता है तो व्यक्तिगत चेतना में एकीकृत हो जाते हैं, तो व्यक्ति विचारों का स्वामी होता है और मूल रचनात्मक कानून के तहत सामने आता है
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