3 step circumambulation:
If we look closely at ourselves, we will understand very well that it is our- In personality we have desires, thoughts, feelings, feelings, beliefs, hopes, it is our only shield, which saves us from emptiness, because we are very afraid of emptiness.
To know what is the truth of creation, to recognize the purity of life and to embrace the beauty of myself, when my 'I' took a dip in the ocean of time, I saw a fresh smile floating on every being of the universe. has been Sitting in the lap of this newness of creation, when a mysterious unseen realization took me in its lap, my soft gaze turned towards the world. It is a model of mystery, in which the secret of the depth of the structure is hidden. So my silence became silent and told everyone that:
- Whenever you wake up in the morning - wake up as if you are just being born, and feel your birth ---
Whenever you look at your existence, look as if you love yourself immensely.
---Whenever you step out of your home, keep it as if your steps have started moving towards a religious place---
And these three steps will make you circumambulate your 'temple of life' -
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३ कदम की परिकर्मा:
अगर हम अपनी ओर गौर से देखेंगे तो हम यह अच्छी तरह समझ जाएंगे कि, जो यह हमारे व्यक्तित्व में हमारी चाहना है, विचार है, भाव है, एहसास हैं, विश्वास हैं, आस है, यह हमारी एक सिर्फ ढाल है, जो हम को शून्यता से बचाती है, क्योँकि हम शून्यता से बहुत डरते हैं।
स्रष्टि के सत्य जो जानने के लिए, जीवन की शुद्धता को पहचानने के लिए और खुद के सौंदर्य को अपनाने के लिए, जब मेरी 'मैं' ने वक़्त के सागर में डुबकी लगाई तो देखा कि एक ताज़गी से भरी मुस्कान ब्रह्माण्ड की हर सत्ता पर तैर रही है। स्रष्टि के इस नयेपन की आगोश में बैठी एक रहस्यमई अनदेखी प्रतीति ने जब मेरे को अपनी आगोश में लिया तो मेरी कोमल सी निगाहें संसार की ओर उठी।मैंने देखा कि संसार की रचना गहरे धार्मिक-स्थान की है और संसार का हर हिस्सा एक ऐसे भेदभरे रहस्य का नमूना है, जिस में सरचना की गहराई का राज छुपा हुआ है। तो मेरी खामोशी ने खामोश हो के ही सब को कह दिया कि:
- जब भी सुबह उठो- ऐसे उठो जैसे आप अभी पैदा हो रहे हो, और खुद की पैदाइश को अनुभव करो ---
-- जब भी अपने अस्तित्व को देखो तो ऐसे देखो जैसे तुम स्वयं से बेइंतहा प्रेम करते हो---
--- जब भी आप अपने घर से बाहर कदम रखते हैं तो ऐसे रखो कि जैसे आपके कदम किसी धार्मिक जगह की ओर बढ़ने लगे हैं ---
और यह तीन कदम ही आप को आप के 'जीवन-मंदिर' की परिक्रमा करवा देंगे -
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