How to fly in the sky of life
Out of a few open doors, when I saw the silent sun rays coming in, suddenly an experience was born. The darkness is just a curtain, and if you look closely, the light is hidden there. Meaning that righteousness is hidden in the veneer of darkness. I quickly looked into the darkness within me and saw, -
'My emotions started to create a tune with my passion and the melody of experience began to blossom in the rhythm of my awareness. Aura born out of the waves of my longing, taught me how to fly in the sky of life!'
When the dimension of silence fills the person with freshness, then the person starts flying in the sky of life, due to which one knows what is death.
Fresh Aura of Silence
When I fell in love with the silent, I saw and realized how fragile every particle of life is, untouched, refreshed and new. This deep refreshment will always be deeply refreshed, because it has always been touched by deep refreshment. Since then, that aura of freshness hovered over me.
Immortal dimension
I don't have anything other than to say 'wow'. Life becomes a mirror when I look at my present, from which I see that I have walked to a deep pleasant place. In my quiet breath my crazy feelings, think stormy, be satisfied. Now my experience has found the ground, which will blossom and take me to the spring of light. And now I am looking at the point, which is filling the dimension in my vein, in which it is my vein, my particle will always live immortal life.
ज़िंदगी के आसमान में कैसे उड़ना है
थोड़े से खुल्ले दरवाज़े में से जब मैंने चुप-चाप सूर्य की किरण को भीतर आते देखा तो अचानक एक अनुभव ने जन्म लिया।अँधेरा सिर्फ एक पर्दा है, गौर से देखेंगे तो वहां पर भी रौशनी छुपी हुई है। मतलब कि अँधेरे के लिबास में भी धार्मिकता छुपी हुई है। मैंने झट से मेरे के भीतर के अँधेरे में देखा तो देखा,- मेरी भावनाएं, मेरे जुनून के साथ एक धुन बनाने लग पड़ी और मेरी जागरूकता की लय में अनुभव का राग खिलने लगा। मेरी अभिलाषा की तरंगों में से जन्मती आभा ने मेरे को यह सीखा दिया कि ज़िंदगी के आसमान में कैसे उड़ना है !
जब चुप का आयाम व्यक्ति को ताज़गी से भरता जाता है तो व्यक्ति जीवन के आसमान में उड़ना शुरू होजाता है, जिस के कारण वो जान लेता है कि मौत क्या है।
ताज़गी की आभा
मेरे पास 'वाओ' कहने के इलावा कुछ ओर है ही नहीं। जब मैं खुद के वर्तमान पर झात मारती हूँ तो ज़िंदगी एक ऐसा आइना बन जाती है, जिस में से मैं देखती हूँ कि 'मैं' गहरे सुखद स्थान के लिए चल पड़ी हूँ।मेरी शांत साँसों में मेरी पागल भावनाये, तूफानी सोचें भी संतुष्ट हो गई। अब मेरे अनुभव को वो ज़मीन मिल गई है, जो अब खिल कर मेरे को रौशनी की बहार में ले जाएंगे। और अब मैं उस बिंदु को देख रही हूँ, जो मेरी रग रग में उस आयाम को भरता जा रहा है, जिस में यह मेरी रग, मेरा कण कण सदा लिए अमर जीवन को जियेगा।