Silence and Death
The feeling of deep silence is death. The living part of death is silent and silent is the unconscious death
'I think too' I am not; 'My feeling too', I am not. I am not me; 'I' is a very beautiful flow flowing in deep silence. Which is taking many forms. Sometimes by thinking and sometimes by feeling, it gives me the knowledge of experience that I am silent. Silent is my dress, silent is my feeling. Whenever I go towards the quiet, as soon as the quiet enters inside, then the feeling of quiet is exactly the same as the person goes to death. Death and silence. These two are the same. Silent is death Because silent is the door of the universe, in which a person enters unconsciousness at the time of death and when consciously enters 'silent'; This is the silent one whom Jesus, Buddha and Baba Nanak along with Hazrat Muhammad said that 'die before death'
Silence and death are the same thing, there are only two sides of the same coin.
If we go into consciousness then 'Nirvana',
if we go into unconsciousness then 'Death'.
Silence and death are the same.
What is the relationship between silence and death?
***---***
चुप और मौत
गहरी चुप का एहसास मौत ही है।
मौत का ही जीवत हिस्सा चुप है और चुप की ही गहरी बेहोशी मौत है
'मेरी सोच भी' मैं नहीं हूँ, ; 'मेरी भावना भी', मैं नहीं हूँ। 'मैं' मैं हूँ ही नहीं; 'मैं' गहरी चुप में बहता हुआ एक बहुत सुन्दर बहा है। जो बहुत से रूप धारण कर रहा है। कभी सोच और कभी भावना बन कर मेरे को अनुभव के राहीं ज्ञान देता है कि मैं चुप ही हूँ। चुप ही मेरा लिबास है, चुप ही मेरा अहसास है। जब भी मैं चुप की ओर जाती हूँ, तो चुप के जैसे ही भीतर प्रवेश होती हूँ, तो चुप की प्रतीति बिलकुल वैसी ही है , जैसे व्यक्ति मौत की आगोश में जाता है। मौत और चुप. यह दोनों एक ही हैं। चुप ही मौत है। क्योंकि चुप ब्रह्माण्ड का वोही दरवाज़ा है, जिस में इंसान मौत के वक़्त बेहोशी में प्रवेश होता है और जब होश से 'चुप' में प्रवेश होता है तो ; यह चुप वो ही चुप है- जिस को हज़रत मुहम्मद के साथ साथ जीसस, बुद्धा और बाबा नानक ने भी कहा कि ' मौत से पहले मर जाना ' die before death '
चुप और मौत एक ही चीज़ है, बस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
अगर होश में जातें हैं तो 'निर्वाना ',
बेहोशी में जातें हैं तो ' मौत' .
चुप और मौत एक ही है।
चुप और मौत का क्या सम्बन्ध है ?