Living bliss is heaven
To live blissfully is called heaven. Whatever we have heard, if we are not getting it in the world, we will not get it even after we die, because every part will start from here.
Living in its fullness fills every part of life. Today my romanticizing mood also became full.
Today, there is such satisfaction in life that what is said to be filled with satisfaction, and by seeing it, it becomes complete. Such a precious feeling that the coming of thought is the fulfillment of happiness. And seeing is complete. So the question arose that, -
Did my satisfaction reveal itself?
Is it only perfection, which is fulfilled only by thought?
Is it the entirety that a moment is fulfilled?
Is this called heaven and this dimension is the 'kalpa tree'?
Romance with one's own. The romance within itself, which is very deep, is pleasant and peace is blissful.
Wow!
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आनंदित जीना ही स्वर्ग है
आनंदित जीने को ही स्वर्ग कहते हैं। जो भी हम ने सुना है, अगर वो हम को संसार में नहीं मिल रहा तो मरने के बाद भी नहीं मिलेगा, क्योंकि हर हिस्से की शुरआत यही से शुरू होगी।
भरपूरता से जीना ही जीवन के हर हिस्से को भर देता है। आज मेरा रोमांसिंग मूड भी पूर्ण हो गया।
आज जीवन में ऐसी संतुष्टि है कि जो कहने मातर से ही त्रप्ति होने लगती है, और देखने से ही पूर्ण हो जाती है। ऐसा अनमोल अहसास कि ख्याल का आना ही त्रप्ति का होना है। और देख लेना ही पूर्ण हो जाना है। तो सवाल यह पैदा हो गया कि ,-
क्या मेरी त्रप्ति ने खुद को प्रगट किया ?
क्या यह ही पूर्णता है, जो ख्याल मात्र से ही पूर्ण हो जाती है?
क्या यही सम्पूर्णता है कि एक पल देखने से ही पूरी हो जाती है?
क्या इसी को स्वर्ग कहतें हैं और यही आयाम 'कल्प पेड़ ' है ?
खुद का खुद के साथ ही रोमांस। खुद के भीतर ही वो रोमांस, जो बहुत ही गहरा है, सुखद है और शांति भरपूर आनंदमई है।
वाओ