Why didn't I do this,
Because I thought that money and gold are cheated, it lies ahead, it can be cheated at all. And no one can rob the qualities.
I was very wrong. This senselessness made me heavier than everyone else.
The world is intelligent, which also keeps its own money and gold, and I did not know how to handle my qualities. When I saw people taking advantage of my qualities, then I realized that I too did the same thing that my father did.
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If someone makes us stupid, then we become foolish only because of our weaknesses or qualities.
In the world, if anything of the world is looted, then only our own strength or weakness will be hidden behind it, which allowed that thing to be stolen from us.
Because life is such a thing, no one can do anything bad or harm to anyone in this, if the damage is done then we will be behind it.
I saw life from behind the scenes. Life is very clean, simple and innocent. Our mind is cheating Our mind is a very intelligent thug, who does not cheat money nor cheat gold. It only cheats the qualities and demerits, money and gold are left behind by our cheated qualities.
A crook robs people of fear, we lose money or gold, only because of this fear.
A politician does not cheat the people, cheats the greed of the people. Greed makes us poorer and we become poorer.
Becomes a religious teacher and plays with the pain of the people. We are so stupid that we do not see that the property with the Guru keeps increasing and our suffering is increasing.
No one can cheat a human being, only the fear, weakness, greed of human beings make a human being a scapegoat, it is not only negative but also positive. The qualities of positive thinking people are also cheated.
Those with good qualities are also cheated, because they cannot do wrong with a bad person. Lets go wrong with ourselves. With this, the habit of the wrongdoer becomes habitual and they continue to move forward.
I have seen people deteriorate because of a good person, not because of a bad one. People start saving from the bad person, but the person who is good is sugar, and he makes people 'sick of sugar'.
So what should we common people do?
One has to become a guard of 'demerits'
Fencing on all sides of 'properties'
how ?
Never do any decision quickly, you have to give yourself at least 24 hours.
Whatever the relationship, whether with God or with the world
Don't panic
Whatever is to be, let it be, if you do not panic, then this nervousness will become a force, be it any power, positive or negative, strength is just strength. When such power starts entering in us, then this force will take care of us and will always take us on the path of strength. It is better to lose by becoming powerful, because you will understand why it was important to lose today, this understanding will lead you to victory.
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मैंने ऐसा क्यों न किया ,
क्योंकि मैंने सोचा था कि पैसा और सोना ठगा जाता है, वो आगे पड़ा होता है, बिलकुल ठगा जा सकता है।और गुणों को कोई लूट ही नहीं सकता।
मैं बहुत गलत थी। यह नासमझी ही मेरे को सब से ज़्यादा भारी पड़ी।
संसार बहुत अक्लमंद है, जो खुद का पैसा और सोना भी संभाल कर रखता है, और मेरे को मेरे गुणों को संभालना नहीं आया। जब मैंने लोगों को मेरे गुणों का नाजायज़ फाइदा लेते देखा, तब समझ आई कि मैंने भी तो वो ही काम किया, जो मेरे 'बाप' ने किया था।
अगर हम को कोई बेवक़ूफ़ बनाता है, तो बेवक़ूफ़ हम अपनी कमज़ोरी या गुण की वजह से ही बनते हैं।
संसार में, संसार की अगर कोई भी चीज़ लूटी जाती है तो उस के पीछे सिर्फ हमारी खुद की ही कोई ताकत या कमज़ोरी छुपी हुई मिलेगी, जिस ने हमारे से वो चीज़ चोरी होने दी।
क्योंकि जीवन एक ऐसी चीज़ है, इस में कोई भी किसी का कुछ भी ख़राब या नुक्सान कर ही नहीं सकता, अगर नुक्सान हुआ है तो उस के पीछे हम ही होंगे।
मैंने जीवन को परदे के पीछे से देखा। जीवन बहुत ही साफ़, भोलाभाला और निर्दोष है। हमारा मन ठग है। हमारा मन बहुत ही अक्लमंद ठग है, जो पैसे को नहीं ठगता और ना ही सोने को ठगता है। यह सिर्फ गुण और अवगुणों को ठगता है , पैसा और सोना तो हमारी इन ठगी हुई qualities के पीछे आप ही चले जातें हैं।
एक बदमाश लोगों के डर को लूटता है, हम पैसा या सोना गवा देतें हैं, सिर्फ इस डर की वजह से।
एक राजनेता लोगों को नहीं ठगता, लोगों के लालच को ठगता है।लालच ही हम को और गरीब कर देता है और हम और भी गरीब हो जातें हैं।
एक धर्मगुरु बन कर के लोगों के दर्द के साथ खेलता है। हम ऐसे बेवक़ूफ़ हैं कि हम देखते नहीं कि गुरु के पास ज़मीन जायदाद बढ़ती जाती है और हमारी तकलीफ बढ़ती जा रही है।
इंसान को कोई नहीं ठग सकता, सिर्फ इंसान का डर, कमज़ोरी, लालच ही इंसान को बलि का बकरा बना देतें हैं, बात सिर्फ नेगेटिव की ही नहीं, positive की भी है। पॉजिटिव सोच वाले के गुण भी ठग लेते हैं।
अच्छे गुणों वाले भी ठगे जातें हैं, क्योंकि वो बुरे व्यक्ति के साथ गलत नहीं कर सकते। खुद के साथ गलत होने देतें हैं। इस से गलत करने वाले की आदत बन जाती है और वो आगे बढ़ते जातें हैं।
मैंने अच्छे इंसान की वजह से लोगों को बिगड़ते देखा है, बुरे की वजह से नहीं। बुरे इंसान से तो लोग बचा करना शुरू कर देतें हैं, पर जो अच्छा व्यक्ति है, वो शुगर है, और वो ओर लोगों को 'सुगर का रोगी' बना देता है।
तो हम आम लोग क्या करे ?
'अवगुणों' के पहरेदार बनना पड़ेगा
'गुणों' के हर तरफ बाड़ करनी है
कैसे ?
कभी भी कोई भी फैंसला जल्दी से नहीं करना, कम से कम २४ घंटे खुद को देने हैं।
रिश्ता कोई भी हो, चाहे खुदा के साथ या संसार के साथ
घबराना नहीं।
जो होना है, हो जाने दो, अगर न घबराये तो यह घबराहट ताकत बन जायेगी, ताकत कोई भी हो, पॉजिटिव हो या नेगेटिव, ताकत सिर्फ ताकत होती है। जब हमारे में ऐसी ताकत प्रवेश करने लगेगी तो हम को यही ताकत हमारी पहरेदारी करेगी और हम को सदा मार्गदर्शक बन कर मज़िल पर ले जायेगी। शक्तिशाली बन कर हार जाना बेहतर है, क्योंकि समझ जाओगे कि आज हारना क्यों ज़रूरी था, यह समझ जीत पर ले जायेगी।