Why is our 'being' important and was it?
When I started to identify with silence, it was a matter of time that I realized, -
'Every creature in the universe is like this ant, till the time it creeps on the ground, we don't even know, when this ant touches any part of our body, how our hand' without seeing 'ant Removes from the body? '
Till date my position was like this ant, and I was crawling on the ground.
There was a lot of pain. When a person begins to see his own position, the pain is very deep, and thanks also awakens.
The more I understand life, the more the vast universe stands in front of me, which has questions in every part, which is eager to liberate me.
today
When I started going to sleep 4 hours ago, when I lay on the bed, I started seeing the stars!
suddenly:
Which is the secret of life that wants to complete itself, by awakening the 'consciousness' within every living being.
At the same time I saw myself as if I was smaller than a particle. Just as millions of germs fall from our bodies every day, in the same way, we are all just germs of a very deep secret, and in the same way all of them fall.
Then the question:
Then why is father still in my mind?
Am I still alive in the germs that are falling from my body?
Do we always live in a particle falling from our body?
We forget the falling skin as a useless thing, so when I fall out of this body of life, will I become useless?
While to this day, I also have a deep experience that 'nothing in my life ever goes waste'.
I got a unique line of questions.
I hugged every question.
Because the question is the 'Bill Board' of life, which gives us knowledge of the direction of our life.
Now life again made me enter from inside the door of silence.
Space:
Space in or out
It is empty, but full of the whole universe.
It was at this stage that Hazrat Muhammad said, -
'Only Allah, nothing but Allah'
Baba Nanak said, -
ikomkaar; Satnam, Karta, Purakh, Nirbho
The sages of Veda said, -
ॐ
three parts of ॐ: Akaar, Ukaar, Makaar
Such is the secret that there is neither the desire to live nor the beginning to die.
Like a falling particle
Then what happens to consciousness?
Buddha said that - 'Candle woke up and extinguished'
My question is, why did Candle wake up?
When we wake up the candle, we remove the darkness, so what is the darkness that will be away from us, and when it is gone, what will be seen? When that thing appears, why is it important to see it? And what is that?
There is definitely a deep reason behind that. That deep cause can lead to a very deep mystery.
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हमारा 'होना' क्यों ज़रूरी है और था ?
जब मेरी चुप के साथ पहचान होने लगी थी, उस वक़्त की बात है कि मेरे को अनुभव हुआ कि ,-
' ब्रह्मांड में हर जीव की औकात इस चींटी की तरह ही है, जब तक ज़मीन पर रेंगती है तो हम को पता भी नहीं चलता,जब यही चींटी हमारे शरीर के किसी भी आंग को छूती है तो कैसे हमारा हाथ 'बिना देखे ही' चींटी को शरीर से हटा देता है? '
आज तक मेरी औकात इस चींटी जैसी थी, और मैं ज़मीन पर रींग रही थी।
दर्द बहुत ही हुआ था। जब इंसान को खुद की औकात दिखाई देने लगती है, तो दर्द बहुत ही गहरा होता है, और धन्यवाद भी जागता है।
जितना जीवन को समझती जाती हूँ, उतना ही मेरे आगे विशाल ब्रह्मांड खड़ा होता है, जिस के हर हिस्से में सवाल होतें हैं, जो मेरे को मुक्त करने केलिए आतें है
आज
जब ६ घंटे पहले सोने के लिए जाने लगी तो bed पर लेटते ही ,तारों को देखने लगी तो!
अचानक:
ज़िंदगी का वो कौन सा ऐसा रहस्य है, जो खुद को पूर्ण करना चाहता है , हर जीव के भीतर की 'चेतना' को जगा कर के।
उसी वक़्त मैंने खुद को देखा कि जैसे मैं एक कण से भी छोटी हूँ। जैसे हर रोज़ हमारे शरीर से लाखों कीटाणु झड़ते हैं, वैसे ही हम सब एक बहुत गहरे रहस्य के सिर्फ कीटाणु-मात्र है, और ठीक वैसे ही सब झड़ते हैं।
फिर सवाल :
फिर आज भी मेरे दमाग में बापू जी क्यों हैं ?
क्या मैं भी उन कीटाणु में अभी तक जिन्दा हूँ, जो मेरे शरीर से झड़ें हैं?
हमारे शरीर से झड़ते कण में भी क्या हम सदा जीवत रहतें हैं?
झड़ती चमड़ी को हम फालतू की चीज़ समझ कर भूल जातें हैं, तो क्या जब मैं जीवन के इस शरीर से झड़ जाऊँगी , तो मैं फालतू हो जाऊँगी ?
जब कि आज तक का मेरा यह भी एक गहरा अनुभव है कि 'जीवन में कभी कुछ भी फालतू होता ही नहीं।'
मेरे में सवालों की अनोखी कतार लग गई।
हर सवाल को मैंने झप्पी पाई।
क्योंकि सवाल ही जीवन के 'Bill Board ' हैं, जो हम को हमारे जीवन की दिशा का ज्ञान देतें हैं।
अब ज़िंदगी ने मुझ को फिर चुप के दरवाज़े में से , मेरे ही भीतर प्रवेश करा दिया।
स्पेस:
स्पेस भीतर हो या बाहर
खाली है, पर सम्पूर्ण ब्रह्मांड से भरी हुई।
इस अवस्था को ही हज़रत मुहम्मद ने कहा ,-
'सिर्फ अल्लाह, अल्लाह के इलावा कुछ नहीं '
बाबा नानक ने कहा,-
ikomkaar; सतनाम, करता , पुरख , निरभो
वेद के ऋषिओं ने कहा,-
ॐ
ॐ में तीन हिस्से : आकार, उकार , मकार,
ऐसा रहस्य कि न ही जीने की तम्मना होती है और ना ही मरने की आरज़ू।
झड़ते कण की तरह औकात:
फिर चेतना का क्या होता है ?
बुद्धा ने कहा कि -' कैंडल जगी और बुझ गई '
मेरा सवाल है कि कैंडल को जगाया क्यों था?
जब हम कैंडल जगाते हैं तो अंधेरा दूर करते हैं, तो ऐसा ओर कौन सा अंधेरा है, जो हम से दूर होगा, और जब वो दूर हो गया, तो कौन सी चीज़ दिखाई देगी? जब वो चीज़ दिखाई देगी, उस से देखना क्यों ज़रूरी है ? और वो है क्या ?
ज़रूर ही उस के पीछे गहरा कारण है। वो गहरा कारण ही बहुत गहरे रहस्य में ले जा सकता है।
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