Life is the garland of countless experiences,
served in a thread of understanding,
which further brightens the beauty of humanism.
Rosary of experiences
Beautiful sky filled with amazing clouds, rising sun and hidden sun, the song of a bird in the morning and the sound of flowing water; Today when I was in the silent dimension, I had only one space, out of which when I looked at the world for a moment, I saw myself as a space for all this; Birds used to fly in me, water flowed in me, clouds of clouds were flying in me. It is neither my belief nor I have any illusion, I am living in it. To see and understand how I describe my own life, this is my action and my true description.
Time Traveler
Our conscious form is that which is actually the real 'time traveler'. Which has such power that it can move freely in both front and back directions. Whenever one of the layers of the era sits in the lap of any moment, that moment is such a moment, which shows itself to me by making itself an era.
What is the time?
How many forms of time are there?
What is the power of time?
What is the original form of time?
How can we cross the time?
What does time travel mean?
What is the power in the moment that makes itself an era?
What is the ability in the era that gives shape to the moment itself?
Time?
Where is the time taken in the moment of happiness?
How do you stand naked while in pain?
What is the length of this time?
What is the width of this time?
What is the pure form of time, which is the same as conscious in every direction?
What we know by the name of time, when I wanted to find this time in the center of myself, it was the time there - it was not 'time'.
Time and consciousness:
Our pure consciousness wears time. Neither do we know the time till today nor the consciousness. Time and consciousness are just space. When we look through the space, towards all that life, then it is just one particle. Then all our belief systems fly away in the storm of the moment. And we live as eras in just a moment's fire.
Web of desires
Look at any part of life, out of that we will see our shape, our nature and our life. As the spider makes webs, so are we, our webs are our desires. Each of us wishes takes the form of thinking, then takes us deeper. If any of the thoughts becomes our idea, then we become incarcerated in our own idea. We do not know how deep we fall. Which we are huge like space, and light like air, we forget to walk on the ground too, leave it to fly. This is the star circle, which is Galaxy, it is also our web. Now, we ask ourselves and looking at one question that, -
When we cannot get out of our own non-visible mind, then how will we be able to be a player of space?
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जीवन अनगिनत अनुभवों की माला है, जो समझ के धागे में परोई हुई है, जो इंसानीयत की खूबसूरती को ओर भी चमका देती है
अनुभवों की माला
अद्भुत बादलों के साथ भरा सुंदर आकाश, उगता हुआ सूरज और छिपता हुआ सूर्य, भोर में एक पक्षी का गीत और बहते हुए पानी की आवाज़; आज जब मैं चुप आयाम में थी तो मैंने सिर्फ एक स्पेस थी, जिस में से जब मैंने संसार की ओर पल के लिए देखा तो मैंने खुद को इन सब के लिए खुद को भी स्पेस के रूप में देखा; पक्षी मेरे में उड़ता था, पानी मेरे में बहता था, बादलों के झुण्ड मेरे में उड़ रहे थे।यह न ही मेरा विश्वास है और न ही मेरा कोई भ्र्म है, मैं इस में जी रही हूँ। मैं आपने खुद के जीने को कैसे ब्यान करती हूँ, यह देखने और समझने के लिए यह मेरा एक एक्शन है और मेरा सच्चा वर्णन है।
वक़्त में यात्रा
हमारा चेतनरूप ऐसा है कि जो असल में असली 'time traveler ' है। जिस में ऐसी शक्ति है कि यह आगे और पीछे दोनों दिशों में आराम से घूम सकता है। जब कभी भी युग की परतों में से किसी पल की आगोश में मुझे बैठता है तो वो पल ऐसा पल होता है ,जो खुद को युग बना कर मेरे को दिखाता है।
वक़्त क्या है ?
वक़्त के कितने रूप हैं?
वक़्त की शक्ति क्या है ?
वक़्त का असली रूप क्या है ?
वक़्त को हम कैसे पार कर सकतें हैं?
वक़्त की यात्रा का मतलब क्या है ?
पल में ऐसे कौन सी शक्ति है कि खुद को युग बना देती है ?
युग में ऐसी कौन सी योग्यता है ,जो खुद को पल जितना आकार दे देता है ?
वक़्त ?
ख़ुशी के पल में वक़्त कहां लीं हो जाता है ?
दर्द में वक़्त में वक़्त कैसे नंगा हो के खड़ा रहता है ?
यह वक़्त की लम्बाई क्या है ?
इस वक़्त की चौड़ाई क्या है ?
वक़्त का शुद्ध रूप है क्या, जो कि हर दिशा में चेतनरूप जैसा ही है ?
हम जिस को वक़्त के नाम से जानते हैं, जब इस वक़्त को मैंने खुद के केंद्र में ढूँढ़ना चाहा तो वहां पर यह जो वक़्त है- यह 'वक़्त' नहीं था।
वक़्त और चेतना:
हमारी शुद्ध चेतना ही वक़्त का लिबास पहन लेती है। ना ही हम वक़्त को आज तक जानते हैं और ना ही चेतना को। वक़्त और चेतना सिर्फ स्पेस है। स्पेस में से जब हम देख्नेगे ,उस तमाम जीवन की ओर, तो यह सिर्फ एक कण है। तब हमारे सब विश्वास सिस्टम पल के तूफानी बहा में उड़ जातें हैं। और हम सिर्फ एक पल की आगोश में युग बन कर जीते हैं।
कामनाओं का जाल
ज़िंदगी के किसी भी हिस्से में से देख लो, उस में से हम को हमारा ही आकार , हमारा ही स्वभाव और हमारा ही जीवन दिखाई देगा। जैसे मकड़ी जाल बनाती है, वैसे ही हम हैं, हमारा जाल हमारी कामनाएं हैं। हम प्रत्येक की कामनाएं सोच का रूप ले कर, फिर हम को ओर गहरा फसा लेती है। सोचों में से कोई सोच हमारा विचार बन जाती है , तो हम खुद के idea में क़ैद हो जातें हैं। हम को पता ही नहीं चलता कि कितनी गहरी खाई में हम गिर जातें हैं। जो हम स्पेस की तरह विशाल हैं, और हवा की तरह हल्के हैं, हम ज़मीन पर भी चलना भूल जातें हैं, उड़ने की तो बात ही छोड़ो दो। यह तो तारा मंडल है, यह जो गैलक्सी है, यह भी हमारा ही जाला बना हुआ है। अब हम खुद की और देखते हुए एक सवाल खुद को करतें हैं कि, -
जब हम खुद के दिखाई न देने वाले मन से बाहर नहीं हो सकते, तो हम कैसे स्पेस के खिड़ारी हो सकेंगे ?