Life is journey of feelings
My feelings were the holy book for me, it is a holy book, there will always be a holy book! That is why I have lived with so much connection to everything and every part in my life.
---
My life is my religious book.
Whose first chapter became this world, which made the identification of both negative and positive true and real.
Whose second chapter opened again, that is nature. Whatever was learned or understood from the world: whether it was really true and real, it was tested by nature.
Whose third chapter is - 'I'
Now I am reading this 'I', whose circle is space and whose length and width are infinite. Sometimes this chapter takes me to such a place, that I feel that the center of all this vast spread is 'I'. And what is this 'I'?
Is it individual or group?
Now I am reading this paragraph.
---
This universe is the real university.
This world is a class room.
Life is a student.
Which has only one subject - 'Relationship'
Our experience is our result.
Our trust is our test.
We know with joy and sadness that we passed the test or failed.
Then freedom is our 1st grade.
Prudence is our stipend.
---
How can I call myself wealthy, if a creature is hungry, how?
How can I consider myself a human being, if there is a worm of discrimination in my mind, how?
How did I become religious, when I did not understand me yet, how?
Till today I do not understand myself, how can I understand the world, how?
---
1-) If we want to know the greatness of a person, then we have to see that -
- How and what does that person use money on?
- How does that person make his own idea his own action?
And to see the understanding of a person, one has to look at his life and how happy and calm he is?
2-) If we have to identify a bad person, then we should just go to his shelter. If the behavior of such a person would be imprisoned, Aura would never be a liar. Aura is a symbol of human thinking and feeling.
3-) The identity of a good person is always reflected in his life.
Is there any flow in life?
How will it be recognized?
The aura of such a person is always fresh and new. In that we see some understanding, but we will stand in question. The question is proof that such a person sees life even from a particular place, which we do not know yet. Whether this person is positive or negative, these waves have to be captured by our mind.
***---***
जीवन भावनाओं की यात्रा है
ज़िंदगी सिर्फ यात्रा नहीं, ज़िंदगी सब कुछ है -
जिस भी चीज़ में से ज़िंदगी को देखेंगे, ज़िंदगी वोही है।
मेरी भावनाएँ ही मेरे लिए पवित्र ग्रंथ थीं, पवित्र ग्रंथ है, हमेशा पवित्र ग्रंथ रहेगा! इसलिए मैंने अपने जीवन में हर चीज़ को और हर हिस्से को इतनी सलग्नता से जीया है।
---
मेरी ज़िंदगी मेरी धार्मिक किताब है।
जिस का पहला चैप्टर यह संसार बना, जिस ने नकारत्मिक और सकारत्मिक दोनों की पहचान सही और असली करवाई।
जिस का फिर दूसरा चैप्टर खुला, वो है कुदरत। जो संसार से सीखा या समझा: क्या वो सब सच में ही सच और असली था, इस का टेस्ट कुदरत ने लिया।
जिस का तीसरा चैप्टर है,- 'मैं'
अब मैं इस 'मैं' को पढ़ रही हूँ, जिस का घेरा स्पेस है और जिस की लम्बाई और चौड़ाई का अनंत फैला है। यह चैप्टर कभी कभी मेरे को ऐसी जगह पर ले जाता है, कि मेरे को यह लगने लगता है कि यह सब विराट फैला का केंद्र 'मैं' है। और यह 'मैं' है क्या ?
क्या यह व्यक्तिगत है या समूहगत है ?
अब मैं इस पैराग्राफ को पढ़ रही हूँ।
---
यह ब्रह्मण्ड ही असली यूनिवर्सिटी है।
यह संसार एक क्लास-रूम है।
जीवन एक विद्यर्थी है।
जिस में एक ही विषय है -'रिश्तेदारी'
हमारा अनुभव, हमारा नतीजा है।
हमारा भरोसा हमारा टेस्ट है।
खुशी और उदासी से हम जाने जाते हैं कि हम ने टेस्ट पास किया या फेल।
फिर आज़ादी हमारी १स्ट ग्रेड है।
समझदारी हमारा वज़ीफ़ा है।
---
मैं कैसे खुद को दौलतमंद कह सकती हूँ, अगर कोई जीव भूखा है, कैसे?
मैंने कैसे खुद को इंसान मान लूं, अगर मेरे दिमाग़ में भेदभाव का कीड़ा रींगता है , कैसे ?
मैं कैसे धार्मिक हो गई, जब मेरे को मेरी तो अभी तक समझ नहीं आई, कैसे ?
जब आज तक मैं खुद को ही समझ नहीं स्की तो मैं कैसे संसार को समझ सकती हूँ, कैसे?
---
१-) अगर हम ने किसी इंसान की महानता को जानना हो तो हम ने यह देखना है कि -
- वो इंसान पैसे को कैसे और किस पर उपयोग करता है ?
- वो इंसान आपने खुद के विचार को कैसे खुद का एक्शन बनाता है ?
और किसी इंसान की समझ को देखने केलिए उस के जीवन को देखना पड़ेगा कि वो कितना खुश और शांत है ?
२-) अगर हम ने बुरे इंसान की पहचान करनी है तो बस उस की शरण में चले जाना चाहिए। अगर ऐसे व्यक्ति का व्यवहार ढोँगी होगा, औरा कभी झूठा नहीं होता। औरा इंसान की सोच और भावना का प्रतीक होता है।
३-) अचे इंसान की पहचान सदा ही उस के जीने से झलकती है।
क्या जीने में बहा है ?
यह पहचान कैसे आएगी ?
ऐसे इंसान का औरा सदा ताज़ा और नया होता है। उस में हम को कोई समझ दिखाई देती है पर हम सवाल में खड़े हो जाएंगे। सवाल इस बात का सबूत है कि ऐसा इंसान किसी ख़ास जगह से भी जीवन को देखता है , जिस का अभी हम को पता नहीं। यह इंसान पॉजिटिव है या नेगेटिव, यह तरंगें हमारे मन ने पकड़ ही लेनी है।