What is wish?
The deepest beauty of life is that when we understand its nature,
our life becomes art.
What we desire is like a string, from which a pattern begins to form. We can see this pattern in every part of nature, which are shaped. Such is the pattern of words, which we call literature and the pattern of notes is called music. Those we know, but do not understand. The counting of this pattern is called Math. When our desire takes shape in space by becoming strings, thinking becomes in us. Thinking: Our desire begins to design. This pattern is the design of the universe. When we start to be free from every desire, then we start getting acquainted with the design of the universe. Because we stopped making our own design. Literature and music are only parts of this pattern. And math is the count of this pattern — from which today's technology.
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Breath and moment:
What are the moments?
just a breath.
Will have to trust. Because this is the truth and the truth of this truth is that this is true. Moment and breath are the same thing. Moment = Time's image is formed from the moment, just as the breath creates the image of a person. If it is one and two moments that we see, then surely there will be something else behind it too.
what is that ?
When we start watching the moment carefully or the breath, then we will start to see a melody. We will feel that we are just a melody. This melodiousness is our conscious form. And this is our breath, or say our moment, which is making a pattern of our existence, which gets into a big pattern - which we call God. These are the moments, which are the essence of the universe. Which is a mere note, from which a music is being produced.
Time and Life:
Voice of the time
Life demands!
This is the pattern of the voice and the demand. What is the tune of this pattern, now we have to hear it.
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Harmonicity:
We always have to remember that to make a note, the sound has to be suppressed - then the voice will be born.
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इच्छा क्या है?
ज़िंदगी की सब से गहरी ख़ूबसूरती यही है कि जब हम इस के स्वभाव को समझ जातें हैं
तो हमारा जीना कला बन जाता है
हमारी जो इच्छा होती है, यह एक तार की तरह है, जिस से एक पैटर्न बनना शुरू होता है। यह पैटर्न हम नेचर के हर हिस्से में देख सकते हैं , जो आकार ले चुक्के हैं। ऐसे ही शब्दों का पैटर्न बनता है, जिस को हम साहित्य कहते हैं और सुरों के पैटर्न को संगीत कहतें हैं। जिन के बारे में हम जानते हैं, पर समझते नहीं। इस पैटर्न की गिनती को मैथ कहतें हैं। हमारी इच्छा जब तार बन कर स्पेस में रूप लेती है तो हमारे में सोच बन जाती है। सोच : हमारी इच्छा को डिज़ाइन बनाने लगती है। यह पैटर्न ब्रह्माण्ड का डिज़ाइन है। जब हम हर इच्छा से आज़ाद होने लगते हैं तो हम ब्रह्माण्ड के डिज़ाइन से जानू होने लगते हैं। क्योंकि हम ने खुद का डिज़ाइन बनाना बंद कर दिया। साहित्य और संगीत इस पैटर्न के ही हिस्से हैं। और मैथ इस पैटर्न की गिनती है- जिस से आज की technology है।
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साँसे और पल :
पल क्या हैं?
साँसे हैं।
जब हम पल को ध्यान से देखना शुरू करेंगे या सांस को तो हम को एक सुरीला राग दिखाई देना शुरू होगा। हम को लगेगा कि हम सिर्फ एक सुरीला राग हैं। यह जो सुरीलापन है, यह हमारा चेतन-रूप है। और यह हमारी साँसे, या कहो यह हमारे पल सुर ने, जो हमारे वजूद को एक पैटर्न बना रहे होते हैं, जो बड़े पैटर्न में जा मिलता है - जिस को हम गॉड कहते हैं। यह जो पल हैं, यही ब्रह्माण्ड की सांसे हैं। जो एक सुर-मात्र है, जिस से एक संगीत पैदा हो रहा है।
वक़्त और जीवन :
वक़्त की आवाज़ !
जीवन की मांग !
यह जो आवाज़ है और यह जो मांग है, यह एक पैटर्न है। इस पैटर्न की धुन क्या है, अब हम ने यह सुननी है।
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सुरीलापन:
यह हम ने सदा याद रखना है कि सुर बनाने के लिए, सुर को दबाना पड़ता है - फिर ही आवाज़ का जन्म होगा।