Pilgrimage of water
Life is such a deep mystery
that if I think of it in the slightest, then I just make myself move my head
as if I want to sweep the name of life out of my head
Today when the water said that I never flow, my feet stopped and my mind stopped. The lyrics of water made me silent in the stillness. I understood that everything in the universe is living in the Nirvana dimension. Water does not flow - water is practicing one's own meditation as it moves. This practice is its movement. When it becomes stable and calm in this movement it will be in the Nirvana dimension. I asked curious that: -
'O beautiful water, when are you still and calm?'
So said of water,
'When my practice, means that I get comfortable in the flow of flow, that means I start flowing; This is my peace and my nature, which is my life. That means when I get absorbed in myself. '-
पानी की तीर्थयात्रा
जीवन इतना गहरा रहस्य्बादी है
कि अगर इस के बारे में कुछ थोड़ी सी भी सोच मेरे में आती है तो बस,
मैंने सिर्फ खुद का सिर ऐसे हिलाती हूँ जैसे कि सिर में से जीवन नाम को ही झाड़ देता चाहती हूँ।
आज जब पानी ने कहा कि मैं तो कभी बहता ही नहीं, तो मेरे पाऊं रुक गए और मन ठहर गया। पानी के बोलों ने मेरे को स्थिरता में मौन कर दिया। समझ गई थी मैं , कि ब्रह्मण्ड की हर चीज़ निर्वाना आयाम में ही जी रही है। पानी नहीं बहता है - पानी एक हिलने के साथ ही खुद के ध्यान का अभ्यास कर रहा है। यह अभ्यास ही इस का आंदोलन है। जब यह इस आंदोलन में स्थिर और शांत हो जाएगा तो यह निर्वाना आयाम में हो जाएगा। मैंने उत्सुक हो के पूछा कि:-
' ऐ सूंदर पानी, तू कब स्थिर और शांत होता हैं?'
तो पानी के कहा।,
' जब मेरा अभ्यास, मतलब कि मेरा बहने के बहा में सहजता आ जाए , मतलब कि बहने लग जाऊं ; यही मेरी शांति और मेरा स्वभाव है, जो मेरा निर्वाना है। मतलब कि जब मैं खुद के स्वभाव में लीन हो जाता हूँ।'
When the flying birds narrated their own journey
Life and living, are both one?
When did I learn to fly?
Have we sprouted these wings to fly over ourselves?
- No
So when we asked ourselves this question while flying, it was understood at that time that we are not flying life, he took this form when life wanted to fly.
A single question and an instant answer made him an artist.
On behalf of
flying bird
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जब उड़ते पक्षिओं ने खुद की यात्रा को सुनाया
जीवन और जीना, क्या दोनों एक है ?
मैंने कब उड़ना सीखा था ?
क्या हमने इन पंखों को अपने ऊपर उड़ने के लिए अंकुरित किया है?
- नहीं
तो हम ने उड़ते वक़्त जब यह सवाल खुद को किया तो उसी वक़्त समझ आ गया कि हम नहीं ज़िंदगी उड़ रही है, ज़िंदगी ने जब उड़ना चाहा तो उसी ने यह रूप धारण कर लिया।
एक ही सवाल और एक ही पल में जवाब ने हम को कलाकार बना दिया।
किस की तरफ से
उड़ते पक्षी