Will you trust that diseases also speak?
When the person knows to listen to own-self,
then another study of the person starts,
which changes his thinking and feeling towards life.
Today: I again told my life that I have to walk in beauty. I do not know how my life agreed my time and took me to the shore of the lake in the moments of sunset. When I looked at the sky, the color of the sky was blossoming in orange and purple.
My body was incarcerated in a small disease (shingles), I could never imagine that the effect of colors is also healer, for me it was a medicine full of wonder and unique emotion that when I was wandering under that colorful sky If I was sick, then my disease started talking to me, and started telling me, 'Now I will go'
After coming home, I told the family that this disease will go away in two days, this disease has told me this. And this disease ended after two days. I only had this disease for two days.
Three months ago: This disease itself told me that I am coming and I told everyone that this disease has to come and I did not know that diseases also speak. And they also treat themselves. This is an event that is difficult to trust. But with whom such an incident happens, what should that person do!
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क्या आप भरोसा करोगे कि रोग भी बोलतें हैं?
जब व्यक्ति खुद को सुनना जान लेता है ,
तब व्यक्ति का एक और पढ़ाई शुरू होती है,
जिस से उस की जीवन के प्रति सोच और भावना बदल जाती है।
आज: मैंने फिर ज़िंदगी से कहा कि मुझे सुंदरता में सैर करनी है। पता नहीं मेरी ज़िंदगी ने कैसे मेरे ही वक़्त को राज़ी किया और मेरे को सूर्य अस्त के पलों में झील के किनारे पर ले गई। मैंने जब आसमान की ओर देखा तो आसमान की रंगत नारंगी और बैंगनी रंगत में खिली हुई थी।
मेरा जिस्म एक छोटी सी बिमारी ( shingles ) में क़ैद था, मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि रंगों का प्रभाव भी हीलर होता है, मेरे लिए यह हैरानगी और अनूठी भाव से भरी दवा थी कि जब मैं उस रंगदार आसमान के नीचे घूम रही थी, तो अचनाक मेरा रोग ही मेरे से बात करने लगा, और मेरे को कहने लगा कि ,'अब मैं चलता हूँ'
घर आ के मैंने परिवार के लोगों को कहा कि दो दिन में यह रोग चला जाएगा, इस रोग ने मेरे को यह कहा है। और यह रोग दो दिन के बाद ख़तम हो गया। यह रोग सिर्फ मेरे पास दो दिन रहा।
तीन महीने पहले : इस रोग ने खुद मेरे को कहा कि मैं आ रहा हूँ और मैंने सब को बता दिया था कि यह रोग ने आना है और मैं यह नहीं जानती थी कि रोग भी बोलतें हैं। और खुद का इलाज़ भी खुद ही कर देतें हैं। यह एक ऐसी घटना है, जिस पर भरोसा करना कठिन है। पर जिस के साथ ऐसी घटना घटे तो वो व्यक्ति क्या करे!