When I saw the waving clouds in the lake, I became zero.
When I heard the notes of color,
I realized that everything in life is the same tone.
The aura of sound is called color
Sound is the formless form of color and color is the form of sound.
We have always heard from religious books and found that there is a sound in the womb of the universe, and there is a wave, from which everything is born. The sound of silence, which produces everything. how?
Everything is a mystery when we do not know it. When we know that everything is simple and easy. After knowing the truth of life, every true seeker becomes a lover of simplicity. Our own study is such a study that unites us with everything
'from matter to God.'
Whenever we hear any sound, the first thing that we want to see is that we see the sound from where it is coming? The truth is that our mind does not want to see that this sound is coming from where ?, But our mind wants to see the sound. Seeing is the most important part of life. 80% of our life is based on seeing. We cannot see the sound, then what to do?
The sound itself is called Oum. This wave of Oum which becomes the tone of the wave. When this sound goes up and down and makes itself small and big, it creates an aura of this wave - which we know as color. Meaning that the sound which is located in the universe in a formless form, it gives itself a form of form, as 'color'.
Meaning that the aura of sound is called color.
This aura of colors is a sound that we hear only in a state of unrestrainedness.
The person who hears this sound has no interest in the sound of any other tone, whoever understands the aura of this color, then that person is not interested in the substance.
The rhythm of sound is called the tone 'pattern', and this life of ours is just one tone, and all these colors are notes of that tone.
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जब मैंने लहराते हुए बादलों को झील में देखा तो मैं शून्य हो गई।
जब मैंने रंगों के सुरों को सुना,
तब जाना कि ज़िंदगी की हर चीज़ एक ही सुर है।
ध्वनि की आभा को रंग कहतें हैं
ध्वनि रंग का निराकार-रूप है और रंग ध्वनि का साकार-रूप है
हम ने सदा ही धार्मिक किताबों में से सुना है और पड़ा है कि ब्रह्मण्ड के गर्भ में एक ध्वनि है, और एक तरंग है , जिस से सब पैदा हुआ है। चुप की ध्वनि , जो हर चीज़ को पैदा करती है। कैसे?
सब कुछ एक रहस्य है जब हम इसे नहीं जानते हैं। जब हम जान जाते हैं कि यह सब कुछ सरल और सहज है। ज़िंदगी का सत्य जानने के बाद हर सच्चा साधक सादगी का प्रेमी हो जाता है। खुद का अध्ययन ही एक ऐसा अध्ययन है जो हम को 'पदार्थ से ले के खुदा तक' सब के साथ जोड़ देता है।
जब भी हम कोई भी ध्वनि को सुनते हैं तो सब से पहले हमारे मन में यही चाहना जागती है कि हम ध्वनि को देखे कि कहाँ से आ रही है ?सच यह है कि हमारा मन यह देखना नहीं चाहते कि यह ध्वनि कहा से आ रही है?, बलिक हमारा मन ध्वनि को देखना चाहता है। देखना सब से अहिम हिस्सा है ज़िंदगी का। हमारी ज़िंदगी 80 % देखने पर ही आधारित है। हम ध्वनि को देख नहीं सकते, तो फिर क्या करे?
ध्वनि को ही ओउम कहा गया है। ओउम की यह तरंग जो सुर 'टोन' बनती है। सुर बनते बनते यह ध्वनि जब ऊपर-नीचे को जाती है और खुद को छोटा और बड़ा आकार देती जाती है तो इस तरंग की एक आभा त्यार होती जाती है -जिस को हम रंग के नाम से जानते हैं। मतलब कि ध्वनि जो एक निराकार रूप में ब्रह्माण्ड में स्थित है, वोही खुद को साकार रूप देती है, ' रंग' के रूप में।
मतलब कि ध्वनि की आभा को रंग कहतें हैं।
यह रंगों की आभा एक वो ध्वनि है, जो हम को निर्विचारावस्था में ही सुनाई देती है।
जो इस ध्वनि को सुन लेता है, उस व्यक्ति को किसी ओर ध्वनि में कोई रूचि नहीं रहती, जो भी इंसान इस रंगों की आभा को समझ लेता है, फिर उस को पदार्थ में रूचि नहीं रहती।
ध्वनि की लय को तर्ज़ कहतें हैं, और हमारा यह जीवन सिर्फ एक तर्ज़ है, और यह सब रंग उस तर्ज़ के note हैं।