Today when I went for hiking in the morning, I saw the green veneer of nature spreading all around. Trembling at the sound of the moving wind, as if enjoying a kirtan (chatting). In this quiet chatting of nature, I felt as if there was a message and I sat there and began to watch it very carefully.
Suddenly a buzz came from the brain
Corona virus
Only for human
The rest of the universe is busy in its movement and is living. The person, who thought of the animal, the bird, only for himself/herself - one considered it as a gift to eat - who was able to accept everything God made, just for himself/herself. Only considered own-self the most beautiful art, today, person is locked - his house became those cage.
Once upon a time, Aeriana ( daughter) told me that one day a person should be locked in a cage and all this world, country, roads, etc. should be all for animals and birds. Because we have seen in many countries that person is a very bad animal - and person does not believe in anyone else's position in the universe - nor does he/she understand. I listened to thousands of people like Aeriana bad for bad people like those who don't understand anything. Those who do not understand life apart from power, money and sex.
New York, for which every person is crazy, today there are only tall buildings. What is the benefit of those buildings which are empty!
If you look at Paris today, what will be seen, Singhapore, Dubai, London, Hongkong, any country look or think carefully, no one will be happy.
It is said that if you have life, then there is a world
If not humans, who will see Ego, will see tall buildings?
I never understand how a person says that I am the best thing. I don't understand how it is, how?
If a person is happy, is comfort, is free, if this person is aware of what life is, who I am, why I got this life and this world, why did I need to be, if I was not, the world . And what would be lacking if I was not in the universe ??? If the answer to all these questions is with the human being, then the person's position may be slightly higher.
How does one boast of being selfish today, Ego shows on fake positions, how?
Such an insult to animals in India, Toba Toba
Go to the temple, in the morning, when the dog is lying on the road, lift it and hit it with stones. Abused on abuses. How, one can go to the temple with such nature, how?
In anger, person is the most ugly animal, so how can you show your face to your family at home? how ?
When the tongue is abused, abuse is taken out in front of their own children, then the parents never feel ashamed of what the children will think?
When a person shows the lack of harmony in the street, then how can he/she again go through that street, how?
Does one not have any respect for own-self? Leave the other, do you not feel ashamed of yourself that what a lowly person I am? Why not ?
If our house does not become a temple for us, how will the temple become a place of worship for us? Will not be made, will never be made.
If we do not respect our own environment, then religion cannot begin, it will never happen?
If the world did not build a temple, if humans, animals, and birds were not seen to be the art of God, then we do not yet know that there is religion?
God is one, the world is one, the universe is one, happiness is one, sorrow is one, healing is one and disease is also one.
If one is recognized, even one will be absorbed and will remain, 'Zero'
The position of this 'zero' is that of no one else.
Look for religious places today.
Religions all remain on one side when life comes to danger.
If the truth of life is that all religions will remain on one side, then what is the reality? Now we should have this question.
If we give up religion to keep life alive, then what is the reality of this life - this question should be there now?
If person starts to spoil the 5 elements then illness will come. Whether individual or group. Corona virus is a group disease. Earth has to save itself.
Our humanity has become ill, this mankind has been diagnosed with cancer. It is now 1st stage - treatment can be done. The mind is our patient, our brain is patient, the body is our patient, now the soul was left. The soul has to be saved.
What will worldly progress do, if humans are not there? Let me look around: Even today nature is waving like it was 6 months ago. There is no difference to nature like human had no difference. And person has stood on a question mark.
Pride kills humans.
If a person is a human being, then one will appreciate his own qualities and will get others to do the same.
If we talk about the state of position, then who has the power today: the corona virus.
Humans should have had a sense, how did the condition of a disease increase, that too from humans. How?
When a person does not learn anything from everyday life, then when nature itself becomes master, it teaches by holding an ear like this.
But how will humans learn?
Only when we make mistakes, we will learn
This is the real natural school in our life, who makes a mistake, then one becomes a wise. Life itself is a master, student, subject, object, lesson and learning. The harder we are - the harder our ears will be caught.
Has the corona virus explained that whose position is bigger?
आज में जब सुबह हाईकिंग के लिए गई तो मैंने चारों तरफ फैली हुई कुदरत की लहराती हरी लिबास को देखा। चलती हवा की आहट पर पेड़ों की हिलजुल ,जैसे कि किसी कीर्तन का आनंद ले रहे थे। कुदरत की इस शांत चैटिंग में , मेरे को ऐसे लगा कि जैसे कोई संदेसा है और मैं वहीँ पर बैठ कर उस को बहुत गौर से देखने लगी।
अचानक दिमाग में से एक गूँज आई
कोरोना वायरस
सिर्फ इंसान के लिए
बाकी सब ब्रह्माण्ड अपनी चाल में मस्त है और जी रहा है। इंसान ,जो जानवर को, परिंदे को, आपने लिए ही मानता था -आपने खाने केलिए ही मानता था - जो खुदा की बनाई हर चीज़ को बस खुद के लिए ही समझता था, सिर्फ खुद को ही सब से सुंदर कला मानता था, वो आज , वो बंद है- उन के घर उन पिंजरा बन गए।
एक बार की बात है कि aeriana ने मेरे को कहा कि एक दिन ऐसा आये कि इंसान पिंजरे में बंद हो जाये और यह सब संसार, मुल्क ,सड़कें ,आदि सब कुछ जानवर और पक्छिओं के लिए हो जाए। क्योंकि हम ने बहुत मुल्कों में देखा कि इंसान बहुत बूरा जानवर है - और यह ब्रह्माण्ड में ओर किसी की औकात तो मानता ही नहीं- और ना ही समझता है। aeriana जैसे मैंने हज़ारों ही लोगों से उन जैसे बुरे लोगों के लिए बदुआ सुनी ,जो किसी को कुछ समझते ही नहीं। जो पावर पैसा और सेक्स के इलावा जीवन को जीवन ही नहीं समझते।
New York जिस के लिए हर मुल्क दीवाना है, आज सिर्फ ऊँची इमारतें हैं। उन इमारतों का क्या फाइदा ,जो खाली ही हो !
आज Paris को देखिये तो क्या दिखाई देगा, Singhapore, Dubai , London, Hongkong, किसी भी मुल्क देखो या ज़रा ध्यान से सोचो, तो कोई भी ख़ुशी दिखाई नहीं देगी।
कहतें हैं कि ' अगर जान है तो जहान है '
अगर इंसान नहीं, ईगो कौन देखेगा, क्या ऊँची इमारतें देखेंगी।
मेरे को कभी भी यह समझ में आता ही नहीं कि इंसान कैसे कह देता है कि मैं सब से अच्छी चीज़ हूँ. कैसे है यह अच्छी यही समझ में नहीं आता, कैसे ?
अगर इंसान सुखी है, खुश है, आज़ाद है, अगर यह इंसान समझ चुक्का है कि ज़िंदगी क्या है , मैं कौन हूँ, मेरे को यह ज़िंदगी और यह संसार क्यों मिला, क्या ज़रुरत थी मेरे होने की, अगर मैं न होता तो , संसार और ब्रह्माण्ड में मेरे न होने से क्या कमी आ जाती ??? अगर यह सब सवाल के जवाब हैं इंसान के पास तो , फिर इंसान की औकात कुछ ऊँची हो सकती है।
आज कैसे खुद के होने पर भद्दा घमंड करता है फेक पोजीशन पर ईगो दिखाता है , कैसे ?
जिस चीज़ ने मर जाना है ,उस का घमंड इंसान कैसे कर सकता है ?
इंडिया में जानवर की इतनी बेइज़ती , तोबा तोबा
मंदिर को जातें हैं, सुबह का वक़्त, सड़क पर कुत्ता लेटा हुआ है तो , उठा के पत्थर उस के मारा दिया। साथ गाली पर गाली दी। कैसे , कोई ऐसे स्वभाव के साथ मंदिर में जा सकता है , कैसे ?
क्रोध में इंसान सब से भद्दा जानवर है, तो कैसे यह आपने घर में ही अपने परिवार को आपने चेहरा दिखा सकता है ? कैसे ?
जब जुबां पर गाली आती है , गाली अपने ही बच्चों के आगे निकाली जाती है, तो माँ-बाप को कभी शर्म महसूस नहीं होती कि बच्चे क्या सोचेंगे?
जब गली मुहल्ले में कमीनापन कोई इंसान दिखाता है तो ,वो कैसे फिर उस गली में से गुज़र सकता है, कैसे ? क्या उस को खुद की भी कोई इज़त नहीं ? दूसरे की छोड़ो, क्या खुद के आगे भी शर्म नहीं आती कि कैसा नीच इंसान हूँ ? क्यों नहीं ?
अगर हमारे घर हमारे लिए मंदिर न बना तो मंदिर कैसे हमारे लिए पूजा का स्थान बन जाएगा ? नहीं बनेगा, कभी नहीं बनेगा।
अगर हम ने खुद के वातावरण को इज़तदार न बनाया तो धर्म की शुरूआत हो ही नहीं सकती, कभी नहीं होगी ?
अगर संसार मंदिर न बना , अगर दिखते इंसान, जानवर, पंछी , यह सब रब्ब की कला न बने तो हम को अभी पता ही नहीं कि धर्म है ?
रब्ब एक है , संसार एक है , ब्रह्मण्ड एक है , ख़ुशी एक है, दुःख एक है , आरोग एक है और रोग भी एक है।
एक पहचान लिया तो एक भी लीन हो जाएगा और रह जाएगा, 'ज़ीरो '
जो औकात इस 'ज़ीरो' की है, वो और किसी की भी नहीं।
आज धार्मिक स्थानों की और देखो।
धर्म सब एक तरफ रह जातें हैं जब जान पर आती है।
अगर ज़िंदगी का सच यह है कि सब धर्म भी एक तरफ रह जायेगें तो असलियत क्या है ? अब हमारे में यह सवाल होना चाहिए।
हम ज़िन्देपन को ज़िंदा रखने के लिए धर्म को भी छोड़ देंगे तो इस ज़िन्देपन की असलियत क्या है - यह सवाल अब होना चाहिए ?
अगर इंसान ५ तत्त को खराब करने लगेगा तो बीमारी आएगी ही। चाहे व्यक्तिगत हो या समूहगत। कोरोना वायरस समूहगत रोग है। धरती ने खुद को बचाना ही है।
हमारी इंसानियत बीमार हो चुकी है, इस इंसानियत को नामुराद कैंसर हो चूका है। अभी १स्ट स्टेज है - इलाज़ हो सकता है। मन हमारे रोगी, अक्ल हमारी रोगी, जिस्म हमारे रोगी, अब रह गई थी रूह। रूह को तो बचाना ही है।
क्या करेगी सांसारिक उन्नत्ति, अगर इंसान ही न हुआ तो ?। देखती हूँ चारों ओर: आज भी कुदरत वैसे ही लहरा रही है, जैसे 6 महीने पहले थी। कोई फ़र्क़ नहीं है कुदरत को जैसे इंसान को कोई फ़र्क़ नहीं था। और इंसान एक सवाल-चिन बन पर खड़ा हुआ है।
घमंड इंसान को मार देता है।
अगर इंसान इंसान है तो वो आपने खुद के गुणों की खुद भी कदर करेगा और दूसरों से करवाएगा भी।
अगर औकात की ही बात करें तो आज किस की औक़ात है : कोरोना वायरस की।
औक़ात तो इंसान की होनी चाहिए थी , यह एक बीमारी की औक़ात कैसे बढ़ गई , वो भी इंसान से।, कैसे ?
जब इंसान हर रोज़ की ज़िंदगी से कुछ सीखता नहीं तो जब कुदरत खुद मास्टर बनती है तो ऐसे ही कान पकड़ कर सीखाती है।
पर इंसान सीखेगा कैसे ?
जब गलती करेगा, तो ही सीखेगा
यही हमारी ज़िंदगी असली कुदरती स्कूल है , जो गलती करता है ,फिर वोही स्याना बनता है। ज़िंदगी खुद में मास्टर है , विद्यार्थी है ,सब्जेक्ट है , ऑब्जेक्ट है , सबक है और सीख भी है। जितने हम कठोर मन के होंगे - उतने ही हमारे कान सख्ताई से पकड़े जाएंगे।
क्या कोरोना वायरस ने यह बात समझा दी है कि औक़ात किस की बड़ी है ?