A few days ago
there was a painful death of female elephant in Kerala (India)
with a painful incident,
the reason of which is a person.
A deep dirty criminal mind can give birth to such an incident.
The birth of many such incidents are happening around everyone in today's time.
The era of intelligence on the one hand and
the age of those who have dangerous intentions on the other side:
It is a matter of much thinking that
how can a person who is moving away from natural living,
get his living healthy?
We are all humans but we eat animals
We are all human but we kill the innocent birds
We are humans, we have always weakened the weak
- not the powerful
Because we are human
When we claim that we are human,
we have ever seen our face in the mirror,
how can we claim this face?
Till today I have not understood what a person is proud of.
On the body of soil, which has to become soil.
When it comes to mind that I have to kill this person, this bird, or this animal,
then why is this experiment never done on its own first.
Why didn't you do this experiment on people at home first?
If a person did this with a sense of revenge, then our revenge started first from our home. Should be from there. Why not start from there?
Because we are very selfish and greedy animals.
There are over 25000 slaughterhouses in India which claim religion,
which becomes the contractor.
How does a person control an animal since animal is small baby, because person is righteousness, which teaches it its religion.
And leave aside,
there is a community that says that
God has made the world for humans only.
Ego has done wonders.
The skin of the animal is also useful,
and the egoist is this person, what is this his ego on
- I have not understood it till today.
First the skin of the animal is separated from the body,
then the agonizing animal dies, hurts the creatures
and then fights for the religious place.
I have not yet understood why, why?
When such a person again feels any pain or feels any disease,
then see how weeps?
Today it is understood that only such a person cries more,
that too you do not cry for pain, you cry for karma,
why did I commit the crime?
When the arrow went out of command,
it did not return.
When I sowed the seed -
the fruit will come
When I was happy, that meant I did a good job
When I had trouble, I must have done a bad job
Even if inadvertently done something wrong, there is a problem.
I do not understand how a person thinks that
if one is happy then it is his goodness - that is why one is happy;
If a human has suffered, then there is always a reason for that.
Why?
Human being is also very good is also very
If it wants to make a stone a god, it can sell to God.
Time today
Technology is the result of human intelligence
and fighting is also a human act.
The animals and birds are living their life,
but this foolish person did not learn from them,
but started torturing them.
Rapist should be sentenced to death
The person who did this with female elephant -
one should also be punished in such a way
so that the rest of the humans understand that
If today the world is a storehouse of diseases,
then only because of our thoughts and all our dirty acts.
If a human kills any creature like this,
then the human should never be forgiven,
only then the world will become a place to live
and the person will recognize his rightful character.
When any person gives birth to such an incident,
the government takes action against them,
but the public also has a duty to think about
what the future will be before any person does it.
Such a person should be expelled from the village,
there should not be shelter in any house,
so that the person gets a chance to become
a beautiful and good person.
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थोड़े दिन पहलों हुई केरला (इंडिया) में हुई फीमेल elephant की एक दर्दभरी घटना के साथ मौत, जिस का reason एक व्यक्ति है। ऐसी वारदात को जन्म एक गहरा criminal mind ही दे सकता है। ऐसी ही बहुत घटनाओं का जन्म आज के वक़्त में आपने सब के आस-पास हो रहा है। एक तरफ बुद्धिमानी का युग और दूसरी साइड पर खतरनाक इरादे रखने वालों का युग: बहुत ही विचारण की सिथति है कि इंसान जो natural living से भी दूर हो रहा है, उस को अपना तंदरुस्त जीना कैसे मिल सकता है ?हम सब इंसान हैं पर हम खातें हैं जानवर
हम सब इंसान है पर मारतें हैं बेज़ुबान परिंदो को
हम इंसान हैं हम ने सदा कमज़ोर को कमज़ोर किया है -किसी बलशाली को नहीं
क्योंकि हम इंसान है
जब हम दावा करतें हैं कि हम इंसान हैं, कभी अपनी शक्ल को आईने में देखा है कि यह शक्ल कैसे दावा कर सकती है ?
मेरे को आज तक यह समझ ही नहीं आई कि इंसान को गरूर हंकार है किस बात पर। मिटटी की जिस्म पर ,जिस ने मिटटी ही हो जाना है।
जब मन में यह सोच आती है कि मैंने इस इंसान का, इस परिंदे का, या इस जानवर को ऐसे मारना है तो पहले अपने आप पर यह experiment कभी क्यों नहीं होता। आपने घर को लोगों पर पहले यह एक्सपेरिमेंट क्यों नहीं होता ?
अगर किसी व्यक्ति ने बदले की भावना से यह किया तो हमारा बदला तो पहले हमारे घर से ही शुरू होना चाहिए न ? वहां से शुरू क्यों नहीं होता ? क्योंकि हम बहुत ही खुदगर्ज़ और लालची जानवर हैं।
इंडिया जो दावा करता है धर्म का, जो ठेकेदार बनता है धर्म का , वहां पर २५००० से ऊपर बूचड़खाने हैं। जानवर को छोटे होते से ही कैसे कण्ट्रोल करता है इंसान , क्योंकि यह धार्मिकता है , जो इस को इस का धर्म सिखाता है।
और तो बात छोड़ो एक कौम तो ऐसी है कि जो कहती है कि रब्ब ने संसार को इंसान के लिए ही बनाया है। हद्द ही हो गई ईगो की। जानवर का चम् भी काम आता है और यह जो ईगोइस्ट व्यक्ति है. इस को मान किस बात पर है ? - मेरे को आज तक समझ नहीं आई। ज़िंदे जानवर का चम् खींचता है. जब इस को कोई मारता है या किसी रोग का शिकार होता है तो देखा कैसे रोता है ?
जब फिर ऐसे इंसान को कोई दर्द होता है या कोई रोग लगता है , फिर देखो कैसे रोता है ?
आज समझ आई है कि ऐसा इंसान ही ज़्यादा रोता है, वो भी आपने दर्द के लिए नहीं, आपने कर्म के लिए रोता है कि मैंने गुनाह किया ही क्यों था ? तीर जब कमान से निकल गया तो वापस आता नहीं। बीज को जब बो दिया -फल तो आएगा ही
जब मेरे में ख़ुशी आई , मतलब कि मैंने कोई अच्छा काम किया
जब मेरे में तकलीफ़ आई , ज़रूर मैंने बूरा काम किया होगा
चाहे अनजाने में ही कुछ गलत किया हो, इस लिए तकलीफ है।
मेरे को यह समझ आती ही नहीं कि इंसान ऐसे कैसे सोच लेता है कि अगर वो खुश है तो यह उस का कोई अच्छापन है- इस लिए ही वो खुश है ; अगर इंसान को कोई तकलीफ आ गई तो उस का कारण सदा कोई ओर होता है। क्यों?
इंसान बूरा भी बहुत है अच्छा भी बहुत है
यह चाहे तो पत्थर को खुदा बना लेता है ,यह चाहे तो खुदा को भी बेच देता है
आज का वक़्त
technology इंसान की बुद्धिमानी का नतीजा है और लड़ाई झड़गा भी इंसान की करतूत है।
जानवर, परिंदा अपनी ज़िंदगी को जी रहे ने, पर इस बेअक्ल इंसान ने उन से सीख तो ली नहीं, बलिक उन पर ही जुलिम करना शुरू कर दिया।
बलात्कारी को मौत की सज़ा मिलनी चाहिए
जिस ने female elephant के साथ ऐसा किया - उस को भी ऐसे ही कुछ सज़ा मिलनी चाहिए ता कि बाकी के इंसानों को समझ मिले कि हम ने एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहना है। अगर आज संसार रोगों का भण्डार है तो सिर्फ हमारी सब की सोच और हमारी सब की ऐसी गन्दी करतूतों के कारण।
कोई भी इंसान ,किसी भी जीव को मिटाता है तो इंसान को कभी माफ़ी नहीं मिलनी चाहिए, तो ही संसार रहने की जगह बनेगी और इंसान को अपने सही किरदार की पहचान आएगी।
जब कोई भी व्यक्ति ऐसी घटना को जन्म देता है तो उस के प्रति सरकार तो कारावाई करती ही है, वहीँ पर जनता का भी एक फ़र्ज़ होता है, ता कि आगे से कोई भी व्यक्ति ऐसा करने से पहले सोचे कि फिर उस का भविष्य क्या होगा ?
ऐसे व्यक्ति को गांव से निकाल देना चाहिए , किसी भी घर में पनाह नहीं मिलनी चाहिए।ता कि उस व्यक्ति को सूंदर और अच्छा इंसान बन जाने का मौका मिले।