I gave 20 questions to all of you as well as myself.
Today I am sharing the answer
1 - Do we all know why we did not succeed?
The answer to this question is mine.
I am looking deeply into myself where I have failed and in which field I wanted to be successful.
When I see the depth of life as well as the depth of existence, I again ask myself the question, 'Jinder, are you really unsuccessful and do you think that there is 100% failure in life?
As long as there is a question before the question, the journey of the question is not complete. If the journey of question is complete then we will get our answer 100% correct.
My question has now given me the question that see yourself and life.
No one is a complete failure in life. If I say that those who commit suicide, they are unsuccessful, not even that, because they had the way to go out of their environment today. How it turned out is not important - it turns out it is important. The courage to kill oneself, the courage to separate themselves from their families is a great thing. For example:
I fell down a well. This well was at some place that there are few travelers on the move. I have fallen, and there is no way for me to get out, what should I do?
There is no unknown place - there are unknown situations and unknown situations too. There is only one way out. When any person walks on the road of death, he leaves life after thinking a lot.
We all have always complained that no one in the world?
Why?
Why didn't you?
Have we ever been someone?
Are we not in the world?
Are we giving this statement about our self?
The one who commits suicide is not failed. Meaning that according to my experience nothing in the world is unsuccessful. The condition and stage of suicide is very painful, when a person takes this step, we know the art of freeing ourselves from guilt and adopt that art. Then we declare the person who committed suicide guilty.
I saw that everyone is successful in the world. Just like there is a world, we are all successful there. Losing is not a failure, standing at a lost place and looking deep, we get time.
The eternal colors of life are shapes and we will be able to see them according to our understanding. Life is such that it takes color as we would like to see.
We feel that our eye sees the thing, no, our understanding sees the thing. Losing one or two in one place gives pain, that same pain will become more happiness.
If I do not find anyone successful in the world, then I can never consider myself a failure, this is the simple answer. But still I have not been able to fulfill one of my desires, is it not a failure?
This is not a failure, because I am walking on the path right now. Along the way, I am getting to experience which of my weaknesses have been removed now. The deeper the desire is to say or say that the larger the aim is, the longer and deeper the path is.
So my lack of understanding is my only delay. When the understanding is complete, I will be successful.
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मैंने आप सब को भी और खुद को भी 20 सवाल दिए थे।
आज पहले सवाल का जवाब आप सब के साथ सांझा कर रही हूँ।
1 - क्या हम सब जानते हैं कि हम सफल क्यों नहीं हुए ?
इस सवाल का जवाब मेरा यह है।
बहुत गहरे से खुद में देख रही हूँ कि मैं असफल कहाँ से हूँ और मैं सफल किस खेत्र में होना चाहती थी।
जब ज़िंदगी की गहराई के साथ साथ, वजूद की गहराई को भी देखती हूँ ,तो खुद को फिर सवाल पर सवाल करती हूँ कि ' जिन्दर तू सच में ही असफल हैं और तेरे को लगता है कि ज़िंदगी में कोई १००%असफल होता है ?
सवाल के आगे जब तक सवाल है , तब तक सवाल की यात्रा भी पूरी नहीं हुई। सवाल की यात्रा पूरी होगी तो हम को हमारा जवाब १००% सही मिलेगा ही।
मेरे सवाल ने अब मेरे को यह सवाल दिया है कि देख तू खुद को और ज़िंदगी को।
ज़िंदगी में कोई भी पूरी तरह असफल नहीं है। अगर मैं यह कहूँ कि जो आत्महत्या करतें हैं , वो असफल हैं, वो भी नहीं , क्योंकि उन के पास वो राह तो थी कि वो अपने आज के माहौल से बाहर तो निकल गए। कैसे निकले यह महत्वपूर्ण नहीं- वो निकले यह महत्वपूर्ण है। खुद को मार देने की हिम्मत, खुद को अपने घरपरिवार से अलग कर देने का हौंसला बहुत बड़ी बात है। उदाहरण के तौर पर :
मैं एक कुँए गिर पड़ी। यह कुँए किसी ऐसी जगह पर था कि आते जाते मुसाफ़िर भी कम हैं। मैं गिरी पड़ी हूँ, और मेरे बाहर निकलने की कोई आस ही नहीं , तो मैं क्या करूँ ?
अनजानी जगह ही नहीं होती- अनजाने हालात और अनजानी हालत भी होती है। वहां से एक ही रास्ता बचता है। जब कोई भी व्यक्ति मौत की ड़गर पर चलता है तो बहुत कुछ सोच समझ के ही ज़िंदगी को छोड़ता है।
हम सब ने सदा शिकायत की है कि संसार में कोई अपना नहीं ?
क्यों ?
क्यों नहीं आपने ?
क्या हम कभी किसी के बने हैं?
क्या हम संसार में नहीं है?
क्या यह स्टेटमेंट कहीं हम अपने खुद के बारे में तो नहीं दे रहे ?
जब हम किसी भी चीज़ के प्रति शिक़वा प्रगट करतें हैं, हम भूल जातें हैं कि हम भी उन में से एक हैं।
आत्महत्या करन वाला भी असफ़ल नहीं। मतलब कि मेरे अनुभव के अनुसार संसार में कुछ भी असफल नहीं। आत्महत्या की स्थिति और अवस्था बहुत गहरी दर्दभरी होती है, जब कोई इंसान यह कदम लेता है तो हम खुद को दोष से मुक्त करने की कला को अच्छी तरह जानतें हैं और उस कला को अपनातें हैं। फिर हम आत्महत्या करने वाले को ही दोषी घोषित कर देतें हैं।
मैंने देखा कि संसार में सब सफल ही हैं।जैसा संसार है, वहां पर हम सब सफ़ल हैं। हार जाना असफलता नहीं, हारी हुई जगह पर ही खड़े हो के ओर गहरे देखने का, हम को वक़्त मिलता है।
ज़िंदगी के अन्नत रंग रूप आकार हैं और हम उन को अपनी समझ के अनुसार ही देख पाएंगे। ज़िंदगी ऐसी है कि जैसी हम देखनी चाहेंगे, वैसा ही रंग रूप ले लेती है।
हम को लगता है कि हमारी आँख चीज़ को देखती है, नहीं, हमारी समझ चीज़ को देखती है। एक जगह पर एक या दो हारना जैसे दर्द देता है, वोही दर्द वैसे ही ज़्यादा सुख बनेगा।
अगर मेरे को संसार में कोई सफल लगता ही नहीं, तो मैं खुद को असफल कभी मान नहीं सकती, यह सीधा सा जवाब है। पर फिर भी मैं अपनी एक चाहना को, अभी तक पूरा नहीं कर पाई, क्या यह असफलता नहीं ?
यह असफलता नहीं , क्योंकि अभी मैं राह पर चल रही हूँ। राह साथ साथ ही अनुभव करवा रही है कि अब मेरी कौन सी कमज़ोरी दूर हुई है। जितनी गहरी चाहना होती है या कहो कि जितना बड़ा मक़सद होता है , उतना ही रास्ता लम्बा और गहरा होता है।
दिल तो करेगा ही कि आज ही मंज़िल मिल जाए, पर दिल में सब्र भी अनंत है ,जिस को यह पहचान आ चुक्की है कि यह ज़िंदगी का सिलसिला युगों जैसा है - सो रास्ते को सब्र और आराम से पूरा कर। ज़िंदगी हर पल आगे ले के जा रही है और हर पल को ,हर सोच को, हर कदम को एक बार तो फेल करती ही है। मेरा फेल होना ही आगे बढ़ना बनता जा रहा है।
सो मेरा लेट होना मेरी ही समझदारी की कमी है। जब समझ पूरी हो जायेगी, मैं सफल हो जाऊँगी।